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35 देश अपने ही बच्चों के भविष्य के लिए खतरा बने, अफगानिस्तान समेत एशिया के कई देश लिस्ट में

यूनाइटेड नेशंस ने दुनिया के 35 ऐसे देशों की लिस्ट जारी की है जहां बच्चों का भविष्य अंधकार में बताया गया है। लिस्ट में में एशिया, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका रीजन के कई देश शामिल हैं। इन देशों में बच्चों की स्थिति को लेकर किए गए सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि यहां बच्चों का भविष्य तो खतरे में है ही उनकी जिंदगी पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan2 Jun, 2020

 

 

 

 

 

बच्चों से छीना गया उनका हक
अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार यूनाइटेड नेशंस ने दुनिया के तीन प्रमुख प्रायद्वीपों के 35 देशों को बच्चों की जिंदगी के लिए सबसे खतरनाक बताया है। यहां के 70 लाख बच्चों का भविष्य खतरे में है। यूएन ने इन देशों के एजूकेशन सिस्टम पर किए गए सर्वे के आधार पर लिस्ट बनाई है।

 

 

 

अफगानिस्तान और म्यांमार भी लिस्ट में
यूएन के मुताबिक एशिया के अफगानिस्तान, म्यांमार, मिडिल ईस्ट के सीरिया, यमन, ईराक और अफ्रीका रीजन के बुरकीना फासो समेत कुल 35 ऐसे देश हैं जहां बच्चों को एजूकेशन का अधिकार सही तरीके से नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में बच्चे स्कूलों से दूर हैं और वह निरक्षर बड़े हो रहे हैं जो उनके भविष्य के लिए ठीक नहीं है।

 

 

 

 

 

स्कूलों पर हमले से शिक्षा चौपट
अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार इन 35 देशों में अलग अलग तरह के संगठनों, सशस्त्र संगठनों ने शैक्षिक संस्थानों पर हमला कर ​बच्चों को शिक्षा से दूर कर दिया है। गोलीबारी और बम हमलों में कई शैक्षिक इमारतों को ढहा दिया गया है जबकि बड़ी संख्या में शिक्षक और बच्चों की मौत भी हो चुकी है।

 

 

 

 

35 लाख बच्चे भीख मांगने और मजदूरी करने को बेबस
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक सीरिया, यमन और बुरकीना फासो की स्थिति बेहद खराब है। बुरकीना फासो के 35 लाख बच्चे स्कूलों से दूर हैं। 2019 में यहां पर सशस्त्र संगठनों ने स्कूलों और कॉलेजों पर हमला कर दिया था। इन हमलों में 12 शिक्षकों की मौत हो गई थी और तब से करीब 2500 स्कूलों में ताला लगा हुआ है।

 

 

 

 

सीरिया और यमन में हालात बदतर
बुरकीना फासो की तरह ही सीरिया और यमन के भी हालात हैं। सीरिया और यमन लगातार कई सालों से गृहयुद्ध की विभीषिका झेल रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक यमन में तो हर घंटे एक बम विस्फोट होता है। यहां के ज्यादातर बच्चों का स्कूल बहुत पहले ही छूट चुका है। सीरिया की भी कमोबेश यही स्थिति है।…NEXT

 

 

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