Menu
blogid : 8034 postid : 47

‘सत्य मेव जयते’ पर अब “कुछ तो लोग कहेंगे…..”

Life
Life
  • 21 Posts
  • 353 Comments

आमिर खान द्वारा प्रस्तुत किये जा रहे कार्यक्रम “सत्य मेव जयते” के बारे में या आमिर खान द्वारा प्रस्तुत इस कार्यक्रम के व्यावसायिक पहलू पर या आमिर खान के निजी व्यक्तित्व पर कोई टिप्पड़ी करने से पहले एक बात कहना चाहुंगा की मैंने कहीं पढ़ा था की “यदि हम किसी व्यक्ति की मदद करने से पहले उस की कमियों या बुराइयों पर ध्यान देंगे तो कभी भी समाज-सेवा नहीं कर सकते” और यह कहने वाली थी मदर टेरेसा….जिनसे अधिक निःस्वार्थ समाज सेवी मिलना लगभग नामुमकिन है….और इसका कारण भी स्पष्ट है की वे स्वयं दूसरे व्यक्ति की व्यक्तिगत कमियों को नज़रंदाज़ करते हुए सभी ज़रूरतमंदों की निःस्वार्थ भाव से सेवा करती थीं, क्योंकि प्रत्येक मनुष्य में कोई न कोई कमी ज़रूर होती है और यह अत्यंत स्वाभाविक है!
अब बात करते हैं आमिर जी के कार्यक्रम सत्य मेव जयते की जिस पर कई सकारात्मक और कुछ नकारात्मक टिप्पड़ियां की गयी हैं….और अगर देखा जाए तो नकारात्मक टिप्पड़ियां करने वाले ज्यदातर वे लोग रहे हैं जो उच्चकोटि के राजनीतिज्ञ बनते हैं पर सोंच निम्न कोटि की रखते हैं!…. एक महानुभाव मंत्री जी ने बेबाक टिप्पड़ी कर दी की आमिर दिखावा कर रहे हैं और यदि वे वास्तव में समाज सेवा करना चाहते हैं तो एन० जि० ओ० में या गरीबों को दान किया करें और इनके जैसे ही कई सतही स्तर की सोंच रखने वालो ने भी उन पर दिखावा करने और व्यवसाय करने के आरोप लगाये………..सही कह रहे हैं साहब! ज़रूर यह कार्यक्रम एक व्यावसायिक कार्यक्रम है और ज़रूर पैसे कमाने के लिए आयोजित किया गया है.
तो क्या? आप के ये सारे आरोप सही हैं तो क्या इससे इस कार्यक्रम की गुणवत्ता और समाज को सच का “आइना दिखाने वाले” ऐसे कार्यक्रम की आवश्यकता और उसे देखने वालों के ह्रदय पर होने वाले प्रभाव पर कोई फर्क पड़ता है….आखिर जो कुछ भी प्रस्तुत किया जा रहा है वह समाज में घटने वाले घृणित सत्य पर ही आधारित है…और सत्य तो कडवा होता ही है….हाँ लेकिन अत्यधिक कडवा उन्ही को लगता है जो ऐसे घृणित कृत्यों में स्वयं भी कभी न कभी शामिल रहे हो! खासकर राजनीति करने वाले लोगों को तो कडवा लगेगा ही क्योंकि जो ज़िम्मेदारी उनकी है उसे तो वे पूरा करते नहीं और कोई दूसरा अगर ऐसा करने की कोशिश करे तो उसे नीचा दिखने लगते हैं ताकि उनकी जिम्मेदारियों पर कोई ऊँगली न उठाये! मैं मानते हूँ की इस कार्यक्रम से हमारा पूरा देश नहीं सुधरने वाला किन्तु अगर इस तरह के कार्यक्रम को देख कर 100 में कोई एक भी सुधर जायेगा तो आप खुद सोंच सकते हैं की पूरे भारत में कितने अधिक लोग सुधर जायेंगे!
जो अत्यधिक समझदार, समाज का भला चाहने वाले लोग इस तरह सत्य मेव जयते के विरुद्ध तुच्छ विचार प्रकट कर स्वयं को हाईलाईट कर रहे हैं….उन्हें प्रत्येक दिन टेलीविजन पर प्रस्तुत होने वाले बेमतलब के कार्यक्रम नहीं दिखाई देते क्या? क्या उन्हें फिल्मो में अश्लील और फूहड़ दृश्य नहीं दिखाई देते या फिर बेमतलब के और फूहड़ कार्यक्रमों द्वारा पैसा कमाना नेकी का काम है? और वे महानुभाव नेता और मंत्री जी जिनकी ज़ुबाने सत्यमेवजयते के विरोध में खुल रही है वे ये बताएं की आज के समय में ऐसे कितने नेता है जो समाज सेवा के लिए राजनीति कर रहे हैं और पैसे कमाने के लिए राजनीति में नहीं आये है….कितने ऐसे नेता हैं जिन पर किसी प्रकार के अपराध का कोई आरोप नहीं है? कितने ऐसे हैं जो अवैध रूप से सम्पत्ति अर्जित कर रोड पति से करोड़ पति बन गए?….आय दिन घोटालों की खबरे पढ़ते-पढ़ते दिमाग सुन्न हो जाता है की इस देश में क्या हो रहा है आखिर एक व्यक्ति को आराम की जिंदगी जीने के लिए कितने पैसों की आवश्यकता होती है?….लेकिन हर गन्दा धंधा चालू है और ऐसे घोटाले बाजो का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है…खैर इनकी बात की तो असली मुद्दा धरा का धरा रह जायेगा!
हाँ तो फ़िज़ूल की टिप्पड़ियां करने वाले ये बताये की कौन है जो पैसे कमाने के लिए काम नहीं करता? पैसा तो सभी की ज़रुरत है लेकिन ऐसे तो गिने चुने ही लोग हैं जो पैसे कमाने के साथ साथ समाज की भलाई के लिए भी काम करते हैं…..
सचिन से जुडी ऐसी ही घटना है की एक साहब उन्हें राज्यसभा में नामित किये जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए की भैया ये तो गैर कानूनी ढंग से नामित किये गए हैं……तो साहब ये जान लीजिये की राष्ट्रपति किसी भी समाज सेवी को राज्यसभा के लिए नामित कर सकता है..अब महानुभाव ये कहेंगे की सचिन समाज सेवी नहीं वो तो क्रिकेटर है…अरे साहब लीजिये अब सचिन को खुद ही बताना पड़ा की “मै 400 से अधिक बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाता हूँ”..क्या ये समाज सेवा नहीं इसके आलावा क्या अब आमिर, सलमान, सचिन जैसे लोग प्रत्येक व्यक्ति को बताकर गरीबो या ज़रूरतमंदों को पैसे दान करेंगे?….. और अगर बता-बता कर दान करेंगे तो भी कुछ लोग ये आपत्ति करेंगे की ये तो अपना नाम करने के लिए दान कर रहे हैं…समाज सेवा नहीं कर रहे….तो फिर बताइए कोई करे क्या?
आमिर ने पहले भाग में कन्या भ्रूण हत्या पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया….अब हम जैसे लोग तो इतनी बुरी सामाजिक बुराई को देख आँखे नम करके काफी देर सोंचते रहे मगर कुछ लोग को तो कमियां ही निकालनी रहती है…..ऐसे महानुभाव क्या जानते हैं की भारत में कन्या भ्रूण हत्या कितनी अधिक व्याप्त है? सरकार द्वारा जारी किये गए आंकड़े ऊपर से चाहे जितने अच्छे लगे की अब लिंगानुपात 2001 के 933 के बजाय 2011 में 940 हो गया है पर सच ये है की 6 साल से कम उम्र के बच्चों का लिंगानुपात जो 2001 में 927 था अब सिर्फ 914 रह गया है उत्तर प्रदेश में तो स्थिति और भी ज्यादा खराब है यहाँ शिशु लिंगानुपात 2001 के 916 की जगह सिर्फ 899 रह गया है! इससे साफ़ ज़ाहिर है कन्या भ्रूण हत्या घटने के बजाय बढ़ी है…इस तरह के आँखे खोलने वाले आंकड़े और इस कार्यक्रम को देख कर कोई नकारात्मक टिप्पड़ी करने से पहले हमें स्वयं पर शर्म आनी चाहिए की आखिर हमारे समाज में ये क्या हो रहा है? क्यों हम ऐसा कर रहे हैं या ऐसे अपराधियों को बचा रहे हैं जो इस तरह के घृणित अपराध में शामिल हैं……लेकिन नहीं कुछ लोगों को तो दूसरे में कमियां निकालने की आदत होती है इससे उनकी बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन होता है की देखिये मैंने ये गलती तुरंत पकड़ ली…..अरे अक्लमंद “निर्मल बाबा” जैसे हज़ारों बाबा लोगों को न जाने कबसे ठग रहे है तब तुमको दिखाई नहीं दिया की देश में क्या गोरखधंधा चालू है और टेलीविजन पर निर्मल बाबा जैसे कितने ढोंगी बाबाओ द्वारा किरियाकरम प्रसारित हो रहा है? क्या ये लोगों का भला कर रहे हैं या व्यवसाय कर रहे है?…..नहीं उनके खिलाफ क्यों बोलोगे कही वोट बैंक में कटौती न हो जाये? हाँ लेकिन बोलोगे तब जब उनके खिलाफ भी एक बड़ा वर्ग खड़ा हो जाये और विरोध करने में ज्यादा वोट बैंक दिखाई दे रहा हो……शर्म करो अपने गिरेबान में झांको, खुद को समाज में कहाँ खड़ा पाते हो, खुद कितने लोगों का भला किया है उस पर ध्यान दो, न की ऐसे लोगों पर कमेन्ट पर जो समाज को वास्तव में किसी तरह से सच का आइना दिखाकर बदलने की कोशिश कर रहे है…..भले ही इससे उन्हें किसी तरह का आर्थिक फायदा ही क्यों न पहुँच रहा हो!
देश की आम जनता को भी अपनी आँखे खोलनी होंगी, अपनी बुद्धि का प्रयोग करना होगा और प्रत्येक बात के सकारात्मक और नकारात्मक पहलु को स्वयं तर्क की कसौटी पर कस कर देखना होगा, यदि वे हमेशा नेताओं और बाबाओ के खोखले झांसो में फंसते हुए भेड़ चाल चलते रहेंगे तो इस देश का कुएं में डूबना तय है….देश की जनता को समझना होगा की कुछ लोग ऐसे होते हैं जो स्वयं कुछ नहीं करते वे बस दूसरों का फायदा उठाते हैं और कुछ लोगों के खिलाफ अनाब-शनाप बोलते हुए स्वयं को अच्छा दिखाना चाहते हैं ताकि उनकी स्वार्थ की दुकाने चलती रहें……..अब ऐसे लोग कुछ न कुछ तो कहेंगे ही!

एक बात यह भी की सत्य मेव जयते का जो भी प्रचार-प्रसार और व्यवसायीकरण हुआ है उसमे आमिर का दोष निकालने से पहले हमें अपनी गलती भी देखनी होगी….क्योंकि “हम भारत के लोग” भी ऐसे हो चुके हैं की हमें किसी बात में उतना ही ज्यादा दम लगता है जितना की उसे बोलने वाला व्यक्ति दमदार हो या प्रसिद्ध हो और जितने ज्यादा आकर्षक ढंग से वह बात प्रस्तुत की गयी हो…..नहीं तो ऐसे मुद्दे तो कई बार उठाये जाते हैं और तुरंत अपना दम तोड़ देते हैं क्योंकि उनके पीछे आमिर, अमिताभ जैसे लोक प्रशिद्ध कलाकारों का अभाव रहता है…गलती तो हमारी है किसी और को क्या दोष देना!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply