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देष को भ्रष्टाचार से आजाद कराने की लड़ाई में जनता की उदासीनता क्यों ? देषहित में अनषन कर रहे अन्ना जी को मनाने सरकार की ओर से कोई क्यों नहीं गया ? क्या ऐसा जनता द्वारा सरकार पर दबाब न बनाने के कारण ह ुआ ? हमारे मित्र युवा कवि कुमार विष्वा पाण्डेय जी की कुछ सारगर्भित पंक्तियॉ

REVOLUTION AGAINST CORRUPTION
REVOLUTION AGAINST CORRUPTION
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अन्ना को मनाने भला कौन जाता।
कॉटों में अपना दामन कौन उलझाता।।
अन्ना को मनाने भला कौन जाता।
धोती, कुर्ता, टोपी के अलावा क्या उनके पास ह ैै।
एक सच्चाई के अलावा उनमे और क्या खास ह ै।।
वो न कोई सेलीब्रेटी ह ै, न किक्रेट के सरताज ह ै।
उस बेचारे बुढढे की क्या औकात ह ै,?
फिर व्यर्थ मे अपना समय कौन गवॉता ?
अन्ना को मनाने भला कौन जाता।
कॉटों में अपना दामन कौन उलझाता।
आखिर एक आम आदमी कितना सोच पायेगा ?
अन्ना की दूरदर्षिता को कैसे देख पायेगा ?
ऊपर से ये कपटी कुटिल सरकार, ऊपर से ये कपटी कुटिल सरकार।
जो जमकर किये ह ै दुष्प्रचार ।
काष हर भारतीय ये समझ पाता।
तो अन्ना को मनाने भला कौन नहीं जाता।
अन्ना ने मंत्री, अफसरों से दुष्मनी ह ै मोल लिया।
बेईमान नेताओं के खिलाफ मोर्चा जो खोल दिया।
राजनेताओं ने भी दिखा दिया ह ै, कि नहीं अब तुम्हारी खैर,
जल में रहकर कर रहे हो मगर से बैर।
अन्ना की तरह दुस्साहस आखिर कौन दिखाता ?
अन्ना को मनाने भला कौन जाता।
कॉटों में अपना दामन कौन उलझाता।।
नेताओं ने भी हथकंडे खोज लिये थे,
नेताओं ने भी हथकंडे खोज लिये थे।
मन ही मन ये सोच लिये थे।
सर का बोझ हमारा खुद उतर जायेगा,
ये राष्ट्रवादी सनकी बुढढा यू ही मर जायेगा।
लेकिन जिसे राखे राम उसे कौन मार पाता।
अन्ना को मनाने भला कौन जाता।
कॉटों में अपना दामन कौन उलझाता।।
एक बेचारे भूले भटके बी. के. सिंह आ गये।
दिल के जख्मों पर थोड़ा मरहम लगा गये ।
इनके अन्दर कुछ इन्सानियत बची ह ै। सेना से जुडें ह ै इसलिये आत्मा सच्ची ह ै।
बार-बार कुमार विष्वा अपनी कलम से जगाता।
अन्ना को मनाने भला कौन जाता।
कॉटों में अपना दामन कौन उलझाता।।
जय हिन्द, जय भारत।
ग ुस्ताखी मॉफ,
अतुल्य भारत, अतुल्य भारतवासी।

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