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प्रेम और समर्पण का प्रतीक है करवाचौथ का व्रत

Jeet jayenge Hum
Jeet jayenge Hum
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बदलाव हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। हमारे जीवन में सभी तरह के बदलाव देखे जा सकते है। बदली है हमारी परंपरा, बदली है हमारी रीत, बदला है हमारा समाज, बदले है जमाने और बदले है हमारे त्यौहार। कल तक जो पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखा जाता था वह अब फैशन बनने लगा है। आज की कामकाजी महिला करवाचौथ का व्रत तो रखती है, लेकिन उसके बीच वह इस बात का भी ध्यान रखती है कि उसके रोजमर्रा के शडयूल पर इसका कोई फर्क न पड़े। खासकर उत्तर भारतीय परिवारों – उत्तर-प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश में कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवाचौथ का पर्व पूरे उल्लास से मनाया जाता है। अगर करवाचौथ का कही जिक्र होता है तो शिव-पार्वती का जिक्र होना संभाविक है। होता इसीलिए है हमारे यहां पति-पत्नी के बीच के सारे पर्व और त्योहार शिव और पार्वती से जुड़े हुए हैं। चाहे तीज हो या फिर करवा चैथ ही क्यों न हो। दिनभर खाली पेट रहकर 18 साल की लड़की से लेकर 90 साल की नारी नई-नवेली दुल्हन की तरह सजती है। मानो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि करवाचौथ का खूबसूरत रिश्ता साल-दर-साल मजबूत होता है। करवाचौथ पर सजने के लिए पंद्रह दिन पहले से ही बुकिंग होनी शुरू हो जाती है। ब्यूटी पार्लर अलग-अलग किस्म के पैकेजकी घोषणा करते हैं। महिलाएं न सिर्फ उस दिन श्रृंगार कराने आती हैं, बल्कि प्री-मेकअप भी कराया parmodvichaar.blogspot.com/

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