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चुप रहो, सुख से जीयो

पराग
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“हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी ख़ामोशी,

न जाने कितने सवालों की आबरू रखी”

वाह जनाब वाह. क्या धाँसू शेर मारा है. मान गये…हम तो आपको एवें ही समझते थे, पर आप तो बड़े वो निकले जी. अपने मनमोहक पीएम बाबू के मुखारविंद से निकले इस शेर को यदि “शेर ऑफ़ दी वीक कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति न होगी”. कई दिनों से बकलोली कर रहे विपक्ष को अपने पीएम चाचा ने सिर्फ दो वाक्यों का जवाब देकर इतिश्री कर ली. एक झटके में ही सारे मुद्दों का जवाब हाजिर. वाह वाह… इस अदा पे कौन ना मर जाए.

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वैसे पीएम चाचा बात ठीक ही कह रिये हैं. हर मर्ज का इलाज है मौन… वो ज्ञानीजन कह गये हैं ना “एक चुप, सौ सुख”. गाँधी जी तो बाकायदा मौन व्रत रखते थे और कहते थे कि मौन रहना सबसे चुनौतीपूर्ण काम है. बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों ने बरसों मौन रहकर महात्मा का पद हासिल किया है. इसलिए चुप रहना सबसे बड़ा कर्म है. अब देखिये ना, देश में इतनी समस्याएँ हैं. गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, आतंकवाद…. सब जानते हैं कि ये सभी पुरातन काल से चल रही समस्याएं हैं. गरीबी तो कृष्ण के ज़माने में भी थी. उस समय भी सुदामा जैसे “नामचीन ” गरीब थे. ला एंड आर्डर की स्थिति तो हमारे रामजी के राज में भी बिगड़ी हुई थी. सीताहरण का काण्ड तो बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था का सबसे बड़ा उदाहरण है. और महाभारत को क्यों भूलते हैं जी…जिसमे भरे दरबार में सरेआम एक औरत की इज्जत को तार-तार किया गया था. बड़े-बड़े राजा-महाराजा ही जब इन समस्याओं का हल नहीं खोज सके तो अपने चचाजान भी बेचारे इन समस्याओं का समाधान कैसे करते. सो उन्होंने चुप्पी साधना ही बेहतर समझा. जहाँ तक विपक्ष की बात है-उनका तो धंधा है बात-बात पर शोर मचाना, प्रधानमन्त्री से जवाब माँगना. कोमनवेल्थ घोटाला हो तो शोर…आदर्श सोसाइटी हो तो हल्ला. टू जी हो तो पीएम से स्पष्टीकरण…कोलगेट हो तो प्रधानमन्त्री से जवाब की मांग. हर सवाल का जवाब पीएम से…अब पीएम हैं कोई सरकारी विभाग के क्लर्क तो हैं नहीं जो हर बात का हिसाब-किताब रखें….वैसे भी कितने काम हैं उनके जिम्मे…कभी ममता को मनाने का काम तो कभी मुलायम को हड़काने का काम. कभी पार्टी प्रवक्ताओं की बक-बक को बंद करवाने का काम. इस बीच कभी फ्री मूड में बैठें भी तो खांटी कांग्रेसियों द्वारा राहुल बाबा को पीएम बनाने की मांग उठ जाती है..जिससे निपटने अर्थात नौकरी बचाने का काम भी उन्ही को करना पड़ता है. अब इतने सारे काम करते-करते बुजुर्गवार थक जातें हैं बेचारे. देश के अन्य मुद्दों को हल करने की तो एनर्जी ही बाकी नहीं रहती साब में.

इसलिए चुप रहो बाबा. घोटाले हों तो होने दो. महंगाई दर बढ़े तो बढ़ने दो… सेब और टमाटर एक ही दर से बिकें तो फिकर नाट…कोयले के आवंटन पर उँगलियाँ उठ रही है तो उठने दो. विपक्षी हल्ला मचा रहे हैं तो मचाने दो..कुछ मत बोलो चुप रहो. चुप्पी ही सफलता का मूल मन्त्र है. देखते नहीं पीएम साब ने चुप रह-रहकर ही इतने साल निकाल दिए. वरना विपक्षी तो कब का उन्हें अपने सवालों में फंसा चुके होते. इसलिए अपुन भी इस बात के पक्षधर हैं कि आज के ज़माने में चुप रहना ही फायदे का सौदा है. वैसे पीएम साब! जब रोम जल रहा था तो नीरो बांसुरी बजा रहा था. आज देश समस्याओं की आग में जल रहा है और आप भी मौन रहकर मनमोहिनी तान छेड़ रहे हैं…कहीं इतिहास नीरो और आपको एक ही पलड़े में ना रख दे…जरा ध्यान रखियेगा.

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