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सावधान देश जश्न मना रहा है (व्यंग्य)

पराग
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बधाइयाँ हो जी बधाइयाँ….लख-लख बधाइयाँ. कमाल कर दित्ता जी…आखिरकार हमने रिकार्ड तोड़ ही दिया…क्या कहा किसका रिकार्ड?…अरे भाई साहब अपना ही रिकार्ड …कहाँ तो हम अब तक ओलम्पिक में अधिकतम तीन ही मेडल ला पाए थे…कहाँ इस बार हम दो नहीं, तीन नहीं पूरे छ मेडल लेकर आये हैं जी. सभी उत्साह में है..कांसा जितने वालों पर सोने की बौछार हो रही है. कोई गलती से सोना जीत ले जाता तो पता नहीं क्या होता. बहुत फख्र की बात है प्यारे..मिठाइयाँ बाटो…घी के दिए जलाओ.
इधर हमारे शहर में भी आज जश्न का माहौल है…खेल विभाग के बड़े अधिकारी जी आज लन्दन का दौरा कर वापस जो आये हैं. 6 मेडलों वाली यशस्वी टीम के साथ गए थे जी. वैसे इन मेडलों को जिताने में इन साहब का क्या योगदान है..ये तो भगवान् जाने. लेकिन आज शहर में इनका स्वागत जरूर विजेताओं जैसा हो रहा है. सरकार ने अधिकारी जी को 50  लाख का इनाम देने की भी घोषणा की है.क्योंकि इनके सानिध्य में ही खेल में हमने इतना “चमत्कारिक” प्रदर्शन किया है. अतः खिलाडियों से ज्यादा हक अधिकारी जी का बनता है. इधर साहब  की गाडी रुकते ही मीडिया वालों ने उन्हें घेर लिया है. सवाल पर सवाल पूछे जा रहे हैं.
“आप इस सफलता का श्रेय किसे देंगे?” दैनिक दनादन के सम्वाददाता प्रश्न कर रहे हैं.
” देखिये इस सफलता का श्रेय वैसे तो जाता है मुझ जैसे कर्मठ अधिकारियों को, जो अपना घर-परिवार छोड़ कर इन खिलाडियों के साथ लन्दन में पड़े थे. इतना बड़ा अधिकारी होकर अपना घर-परिवार कौन छोड़ता है जी..20 दिनों तक इनके साथ रहकर मैंने खिलाडियों को खूब मोटिवेट किया है….कोलेस्ट्रोल और शूगर का मरीज होने के बावजूद घर की देसी दाल सब्जी छोड़कर पांच सितारा खाना खाया है..और हाँ औरों की तरह मैं इस दौरे पर अपने साथ पूरा परिवार घूमाने नहीं लेकर गया. सिर्फ मेरी बीवी ही मेरे साथ गयी थी, क्योंकि उसे अपनी बहन की सगाई के लिए लन्दन से घडी लेनी थी. ये हम जैसे समर्पित अधिकारीयों की ही मेहनत है, जो खिलाडियों ने इतना शानदार प्रदर्शन किया.
” सर पूरे देश में जश्न है…सरकारें इनामों की झड़ी लगा रही है. क्या आपको नहीं लगता की 81 खिलाडियों के दल ने  सिर्फ छ मेडल जीते हैं. लेकिन  हम ज्यादा हवा में उड़े जा रहे हैं. जबकि टापुओं जैसे देशों ने भरपूर मेडल जीते हैं.फेलेप्स और बोलत जैसों ने तो अकेले ही…” खतरनाक न्यूज़ के सम्वाददाता पूछ रहे हैं.
” देखिये मुझे लगता है कि खेलों का सुधार एक लम्बी और अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है. खेलों के स्तर में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. पिछली बार हमने  3 जीते तो इस बार छ…इस हिसाब से अगली बार 12 और उससे नेक्स्ट 24 … .आप निश्चिन्त रहें.  अभी तो मेडल टेली में हमने अपना नाम टॉर्च लेकर ढूँढना पड़ रहा है लेकिन आगे सुधार होकर रहेगा.
“लेकिन सर दीपिका, विजेंदर, बिंद्रा…”
“अरे छोडिये ना इन नामों को…सुशील, विजय, नारंग, योगेश्वेर, सायना की बात कीजिये…और हाँ देशवासी जश्न के मूड में हैं…नेगेटिव अप्रोच से उनका मूड खराब मत कीजिये..81 खिलाडी और 6 पदक वाली बात छोडिये…सफलता को सेलिब्रेट कीजिये..हैव ए पार्टी.. ”
अधिकारी जी के इसी संदेश के साथ माहौल में तेज संगीत की धुन घुलने लग जाती है…लोग नाचने-गाने और शैम्पेन उड़ाने में मस्त हो रहे हैं. वाकई देशवासी जश्न के मूड में हैं. महंगाई, अराजकता, हिंसा, आतंकवाद जैसी समस्याओं को भूलकर आम आदमी थिरक रहा है..81 खिलाडी वाली बात छेड़कर इनके रंग में भंग मत डालो भाई.

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