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एक गोल्ड कलमाड़ी को भी दीजिये साहब……..

पराग
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लीजिये साहब, मेहरबान, कद्रदान. एक अंतर्राष्ट्रीय तमाशा खत्म हुआ. ऐसा तमाशा जिसने कई महीनों से या यूं कहिये कई सालों से देशवासियों का हाजमा बिगाड़ कर रखा था….क्या होगा….कैसे होगा….क्या हम कर पायेंगे….संशय….निराशा….उहापोह…भ्रम आदि…आदि. लेकिन थैंक्स गोड सब कुछ ठीक-ठाक निपट गया. धन्यवाद शीला जी…थैंक्स कलमाड़ी जी….और हाँ शुक्रिया गिल साहेब.
वैसे कॉमनवेल्थ गेम ने देश को बहुत कुछ दिया…कितने सोने…कितने चांदी…कितने कांसे….और हाँ मीडिया, लेखकों और विपक्षी दलों को सरकार के खिलाफ रा मेटीरियल. मीडिया ने बहुत कोसा जी कलमाड़ी साहेब को… इतना पैसा वेस्ट कर दिया….40 करोड़ का गुब्बारा खरीद डाला…खेलगांव में सांप निकला.. खिलाड़ी का बेड टूट गया…मतलब पिछले तीन महीनों में मीडिया ने कलमाड़ी साहेब की रेपुटेशन ऐसी कर डाली कि पूछो मत. लोगों को कलमाड़ी ऐसे लगने लगे…जैसे वे देश के सबसे बड़े खलनायक हों. सब चेनलों, सब अखबारों ने सम्वेत स्वर में कलमाड़ी पुराण गा डाला. नादानों ने इतना भी नहीं सोचा कि कलमाड़ी कितने पुराने खेल प्रेमी हैं. भारत में जितना पुराना खेल का इतिहास है…उतने ही पुराने कलमाड़ी साहेब हैं. जैसे एकता कपूर के सीरियलों में 20 साल आगे कहानी खिसकने के बावजूद न तुलसी बूढी होती है….और न ही पार्वती भाभी. ठीक वैसे ही कलमाड़ी साहेब भी खेल जगत में चिर युवा हैं. हम जब 10 साल के थे तो भी कलमाड़ी साब काली दाढ़ी में हमारे खेलों को धक्का देते हुए दिखाई देते थे. अब अपुन तीस के हैं…तो भी कलमाड़ी साब बिलकुल उर्जा में हमारे खेलों के खिवैय्या बने हुए दीखते हैं…..और हाँ दाढ़ी में कालापन और भी ज्यादा बढ़ गया है. इन्ही महान…. खेलों के महानायक….अति उत्साही कलमाड़ी साहेब के पीछे लेखक, पत्रकार आदि ऐसे पड़ गए…जैसे येदियुरप्पा के पीछे भारद्वाज. वो तो येदियुरप्पा महावीर निकले जो राज्यपाल महोदय को छकाते हुए एक हफ्ते में दो बार विश्वासमत हासिल कर बैठे. ठीक वैसे ही कलमाड़ी साहेब भी चोथे खम्बे और विपक्षियों को छकाते हुए खेल को सुपरहिट करवा ले गये.
अब मात्र पांच दिनों में मीडिया और अंतर्राष्ट्रीय खेल अधिकारियों को उन्होंने अपना क्या खेल दिखाया कि सभी आलोचक खेल की जबर्दस्त तारीफ़ करने लगे और खेलगांव को ओलम्पिक के स्तर का बताने लगे. कल तक जो खेलों के भारत में औचित्य पर प्रश्न उठा रहे थे…….उन्हें कलमाड़ी अंकल ने ऐसी घुट्टी पिलाई की क्या अंतर्राष्ट्रीय जगत क्या पत्रकार सभी वाह-वाह कर उठे. ये जांच का विषय हो सकता है.. वैसे अंदर से खबर ये भी आयी है की ज्यादा प्रलाप करने वाले पत्रकारों को अपने कलमाड़ी साहब ने 15 करोड़ की तुच्छ राशी भेंट कर उन्हें अपना दीवाना बना डाला. लेकिन ये सब आरोप हैं और आरोप लगाने वालों का क्या…इन लोगों ने तो सीता मैय्या और राम जी को भी नहीं बक्शा……..
तो मेहरबान कद्रदान, एक लेखक होने के नाते मेरा आप सब लेखकों को निवेदन कि अब तो कलमाड़ी जी का पीछा छोड़ें . सेटिंग कि जैसी ललित (मोदी) कला उनके पास है…वो और किसी के पास नहीं…और बड़े आयोजन के लिए ये सब बहुत जरूरी है….मैं तो कहूँगा कि समापन समारोह में एक गोल्ड मेडल कलमाड़ी जी को भी दिया जाना चाहिए….किसके लिए ……अब ये मैं नहीं बताऊँगा.

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