गाँव में पिछले कुछ दिनों से श्री मदभागवत पुराण की कथा का आयोजन चल रहा है. रोज शाम को गाँव के असंख्य बड़े-बूढ़े चाव से आचार्य जी के मुखारविंद से श्री कृष्ण की लीला की व्याख्या सुन रहे हैं. आज शाम को आचार्य श्री राधा-कृष्ण के अमर प्रेम की व्याख्या करने वाले हैं. जिसको सुनने के लिए आज कुछ ज्यादा ही भीड़ उमड़ी है. आचार्य जी भी बारीकी से राधा और कृष्ण की लीलाओं का वर्णन कर रहे हैं. “‘राधा जी और कृष्ण की महिमा अपरम्पार है ……..’ गाँव वाले उसे बड़ी तल्लीनता से सुन रहे हैं. तभी सरती ताई कथास्थल पर भागी हुई आती है. ” क्या हुआ सरती, ऐसी बदहवास क्यों हो ” रामेश्वर सरपंच ने सरती की हालत देखकर कहा. ” …..वो श्रीराम का लड़का मोहन….. और गिरधारी की छोरी उमा….. वहां जोहड़ के पास……… उमा की गोद में लेटा है मोहन ” गांववालों को मामला समझते देर न लगी. ”हमारे गाँव की माटी को कलंक हम न लगने देंगे…” गांववालों ने एकस्वर से कहा. “हमे अब क्या करना चाहिए ” सरपंच ने पूछा. ”करना क्या है मार डालो दोनों को ” भीड़ में से आवाज आयी. आनन-फानन में गाँव के मौजिज लोग जोहड़ किनारे बैठे प्रेमी जोड़े के पास पहुँच जाते हैं. थोड़ी देर में गाँव में खबर फैलती है की एक ही गोत्र के प्रेमियों को मौत के घाट उतर दिया गया है. अगली शाम फिर कथास्थल पर कथा हो रही हैं. आचार्य जी फरमा रहे हैं-“प्रेम जीवन का मूल आधार है. जिस समाज में प्रेम के अंकुर नहीं फूटे, वह समाज बेकार है.” गाँव वाले भाव-विभोर होकर कथा का आनंद ले रहे है. …….वहीँ गाँव के शमशान में अब भी प्रेमी जोड़े की चिता सुलग रही है.
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments