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गुनाहगार कौन

DIL KI KALAM SE
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किसी नगर में कृष्ण सिंह नाम का एक व्यक्ति रहता था l किसी कारणवस उसकी मृत्यु हो गई l उसके तीन बेटे कृत, राम, सुमन (सभी काल्पनिक नाम) रहते है l पूरा परिवार हसी ख़ुशी से चल रहा था l कि शादी कि उम्र होने पर कृत कि माँ ने बेटे कि शादी कर दी l लेकिन बच्चे होते समय किसी समस्या कि वजह से कृत कि पत्नी कि मृत्यु हो गई l उसके बच्चे को किसी तरह से डॉक्टर ने बचा लिया l अब इस दूध मुहे बच्चे को किसी तरह उसकी दादी, बुआ ने पाला l वक़्त की मार तो देखो कि जिस बच्चे को दादी और परिवारवाले खुशी से पाल रहे थे l वही बच्चा आगे चल कर उनकी परेशानी का सबब बनता जा रहा था l पता नहीं कहाँ से बचपन से ही उसे घर से भागने कि आदत पड़ गई l उसके परिवार के सभी लोग ईमानदार, सादगी से पूर्ण और महेनती थे l परन्तु पता नहीं उस बच्चे के एक भी गुण परिवार के किसी भी सदस्य से नहीं मिलते l परिवारवाले उसे स्कूल में पढने के लिए भेजते तो शाम को पता चलता कि बच्चा स्कूल गया ही नहीं l सब लोग देर रात तक उसे खोजते लेकिन उसका कहीं पता नहीं चलता l बेचारी उसकी दादी कहीं रात रात भटकती रहती फिर कहीं से खोज कर उसे किसी तरह घर लाती, परिवार का हर सदस्य उसे बैठकर समझाता कि घर से नहीं भागा करते लेकिन उसके कुछ समझ ना आता l वो एक दो दिन तक ठीक रहता l फिर आदतानुसार घर से भाग जाता किसी तरह से खोज कर, ऐसे तैसे करके परिवार के लोगो ने उसे आटवी करवा दी l वह घर से भाग कर क्या करता है कहाँ जाता है ये भी किसी को कुछ नहीं पता उसके परिवार के लोगो ये जानने कि बहुत कोशिश कि लेकिन वह इंतना चालक है कि पळ भर में ऐसा गायब होता जैसे यहाँ कोई था ही नहीं l उम्र के अनुसार उसकी आदते जू कि तू बनी हुई है l परिवार का एक भी सदस्य ऐसा नहीं है कि जो उसे लेकर दुखी ना हो l उसके परिवार के लोगो ने उसे डॉक्टर को भी दिखाया वो हर तरह के हत्कंडे अपनाये जिससे उसकी आदतों में किसी तरह कोई तो सुधार हो लेकिन कोई भी कृत्य उनके किसी काम ना आया l अब तो हालत ऐसी हो गयी है उसे कोई भी रिश्तेदार पसंद नहीं करता यहाँ तक कि उसे कोई अपने घर में पनाह नहीं देता l उसकी वजह से उसके परिवार के लोगो से भी को किसी भी किस्म का रिश्ता नहीं रखना चाहता l अब उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि क्या किया जाये क्योंकि वह जहाँ भी जाता है परिवार वालो को किसी ना किसी प्रकार कि कोई ना कोई शिकायत सुन्नी ही पड़ती है l पुलिस को बता नहीं सकते क्योंकि पुलिस बात समझने के बजाये उनके परिवारवालों के ही दोषों को गिनवाने लगेगी l परिवारवालों के किसी भी इन्सान को कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करे परिवार के लोग अगर किसी को कुछ कहते है तो लोग उन्ही को गुनाहगार बताने से नहीं चुकते और उन्हें ही दोषी करार दे देते है एक बच्चे कि वजह से सारा परिवार तितर बितर हो गया है l परिवार के लोग इस समस्या को लेकर उसके चाचा जी के पास आये थे उन्होंने भी उसके चाचा जी ने भी पहली बार यही सोचा कि परिवार के लोगो कि वजह से ही बच्चा बिगड़ा है लेकिन जब कुछ दिन के लिए उन्होंने उसे अपने पास रहने कि लिए कहा तब उन्हें उस बच्चे कि करतूत समझ में आई और उन्होंने भी चुपचाप उसे उसके घर वापस भेज दिया l अब उसने उसका भी जीना आराम कर दिया है जब देखो उनके घर पर लोगो कि शिकायतों का ताँता लगा रहता है l वो क्या करें उन्होंने तो अपने ही पेरों पर कुल्हाड़ी मार ली l उन्होंने उसके परिवार के लोगो का विस्वास नहीं किया क्योंकि शायद वो खुद को बहुत बड़ा सुधारवादी समझ रहा थे l उसके खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा अब जब भी वो अकेला बैठ कर सोचते कि इस बच्चे को को बिगड़ने में दोष किसका है ? इसका गुनाहगार कौन है? वो जिसने इसे जन्म दिया या वो जिसने इसे पाल पोशकर बड़ा किया ? या फिर वो जिसे उसे कुछ देने कि कोशिश कि फिर भी उसे नहीं सुधार सके जो अक्सर लोगो को सुधारने कि ढींगे मारा करता थे? कोई तो बताये इसका गुनाहगार कौन है? परिवारवाले या वह बच्चा ? हाँ उस बच्चे को रख कर उन्हें ये तो समझ में आ गया होगा कि कोई भी बच्चा चोर, डकैत या कोई भी अपराधी किस्म का समस्या से ग्रसित होकर नहीं बनता बल्कि कुछ जन्मजात ही अपराधी किस्म के होते है l

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