DIL KI KALAM SE
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रावण जैसा महापंडित, महाघ्यानी
और महाज्ञानी
ना धरा पर कभी आया था
ना कभी अब आयेगा
ऐसा शूरवीर व् यौद्धा था वो
जिससे सारा ब्रह्माण्ड घबराया था
सारे देवो को बंधन दे
त्रिलोक विजय के साथ साथ
मृत्यु पर भी विजय वो पाया था
अहं में जब हुआ चूर तब
भगवान् अवतरित हो
जन्म ले श्री राम रूप में
पावन वसुंधरा पर आया था
बस एक चूक जो
हो गयी लंकेश से
जो सीता का हरण
वो कर लाया था
ऐसा त्रिलोक विजेता था वो
पर आज ही के दिन
श्री राम के हाथो शांत
निद्रा में भूमि पर सोया था
जाते जाते सीख दे गया वो
इंद्रिया जो बस में ना हो तो
धर्म कर्म क्या रक्षक हो
रावण जैसा धरा पर
ना रह सका जब
तू कितने दिन
टिक पायेगा
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