DIL KI KALAM SE
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भेष बदल कर आए प्रभु
सुत का दर्श करा दे मांं ……………
देखने उनको अंंखियांं तरसी
मन की प्यास बुझा दे मांं…………
युगों युगों तक लगे समाधि
उसको छोड़ के आए मांं …………..
शिशु रूप को आए देखने
मनमोहक छवि दिखा दे मां …………
दुष्टों के संहार की खातिर
प्रभु बैकुंठ छोड़ के आए मांं ………..
भू-धरा का भार उतारने
धर अवतार वो आए मांं……………..
मैं कैलाशी, हूंं अविनाशी
भिक्षु के रूप धर आया मैं
बस एक बार सुत का दर्श करा दो
मुझ पर उपकार ये कर दो मांं …….
हीरे-मोती चाहे सोना ले लो
एक बार प्रभु को मिला दो
एक बार उनकी छवि दिखा दो
बदले तीनों लोक को ले लो ………..।
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