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‘विलेन’ से ‘नायक’ और ‘विदूषक’ तक!!

सपाटबयानी
सपाटबयानी
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ऐसा माना और जाना जाता रहा है की हंसना जीवन में बहुत जरूरी है और बहुत ही पुराने जमाने से जीवन में फिट रहने के लिए और हंसाने के लिए फिल्मों में एक विशेष पात्रों को रखा जाता था जो हंसाने का ही काम करते थे ! यह बात जीवन में फिट रहने के लिए जरूर मानी जाती रही है!
फिल्मी दुनिया के इतिहास इस बात का गवाह है की एक जमाने में फिल्मों में हंसने और हंसाने के लिए एक विशिष्ठ भूमिका वाले कलाकारों का महत्त्व हुआ करता था! और ये कलाकार बहुत ही महत्व रखने के कारण भी अपनी भूमिकाओं के लिए जाने जाते थे! इसलिए इनके नामों से भी फिल्में चला करती थीं! इनका कार्य फिल्मों के नायको से किसी भी प्रकार कम नहीं आंका जाता था! इनमें उस जमाने के शेख,मारुती, जानी वाकर, गोप,आगा,भगवान,महमूद,धूमल,असित सेन, मुकरी, राजेंद्र नाथ आदि कलाकार हुआ करते थे! इनके बिना फिल्म अधूरी ही मानी थी! फिल्मों के शौक़ीन लोग बताते है की इनके नामों से ही मन में एक आनंद का स्फुरण पैदा होता था और सहज ही हंसी आ जाती था, ऐसा नहीं है ये सीधे ही विदूषक के रूप में आये थे अपितु इनमे से कुछ पहले नायक ही रहे थे जैसे आगा और भगवान आदि! और नायकी न चलने के कारण ये भी विदूषक ही बन गए! जो आपको सिनेमा हाल की तरफ बरबस ही खींच ले जाने के लिए काफी हुआ करता था! विदूषक की भूमिका ही इनकी मुख्य भूमिका मानी जाती थी इनका और कोई काम न होकर केवल दर्शकों को हंसाना मात्र ही हुआ करता था! मतलब उस समय की फिल्मों में हंसाने का काम करने के लिए इन्हे ही रखा जाना जरूरी हुआ करता था! इनके बिना फिल्म अधूरी मानी जाती थी!
इसके बाद विलेन का जमाना आय़ा! विलेनो में प्राण,अमरीश पुरी, रणजीत,,प्रेम चोपड़ा,नरेंदर नाथ,रूपेश कुमार,शातुर्घुं सिन्हा,मदन पुरी, प्रेम नाथ,अनुपम खेर,शक्ति कपूर,कादर खान,परेश रावल जो बाद में विलेन से कुछ विदूषक और कुछ नायक बने! और तो और इनमे से कुछ तो पहले बहुत अच्छे नायक भी रहे, जैसे प्रेम नाथ ! बिना चोला बदले विदूषक के रूप में जानी लीवर का नाम लिए बिना यह शीर्षक अधूरा ही माना जाएगा!
इस बात ने साबित कर दिया की मार धाड़ की परिवृति से हंसाने का काम ही बेहतर है,क्योंकि वैसे ही जीवन में मारधाड़ क्या कम है? इस तरह पहले वाले शुद्ध विदूषको का बाजार ठंडा होगया! और बाद वाले विलेनो से विदूषक बने आज तक स्थायी विदूषक बने हुए हैं! जिन्होंने अब तक अपने चोले नहीं बदले है! और आज तक सफल भी रहे है! इनकी इन भूमिकाओं से आज के जीवन का तनाव कुछ हद तक तो कम हो जाता है! शायद यही कारण है की आजकल कई नायक अपनी भूमिका के साथ – साथ विदूषक की भूमिकाएं भी करते है! गोनिन्दा,अक्षय कुमार आदि के नाम ऐसे है!

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