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‘अच्छा! तो हम चलते हैं ‘ –जागरण ब्लोगर्स के लिए!

सपाटबयानी
सपाटबयानी
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मित्रों! अब अपनी दूसरी ‘अमेरीकी यात्रा’ पूरी करके २० ११ १२ को वापिस अपने देश के महा नगर दिल्ली जाने की तैयारी में हूँ! यहाँ रह कर तमाम समय के कारण यही इंटरनेट पर काम करते-करते सीख गया, और इस बहाने आपका सानिध्य प्राप्त होता चला गया! वहा अपने देश मे आप जानते ही है ,की बिजली की आँख- मिचौनी के कारण पता नहीं कितना कुछ आप लोगो के संपर्क में रह पाउँगा सो यहाँ आप सब का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ! जिन लोगों से यहाँ रहकर सम्पर्क रहा उनमे भारत के सभी प्रदेशो के अलावा विदेशो-चीन,कनाडा, अमेरीका, दुबई आदि देशो में रह रहे भारतीयों के साथ संपर्क में बहुत कुछ सीखा और ज्ञान प्राप्त किया! जो जागरण की इस सुविधा के कारण ही संभव हो सका है!
निम्नलिखित हस्तियों का विशेष आभारी हूँ,जिनके नामो को कभी भी नहीं भूल पाउँगा:– सर्व सुश्री निशा मित्तल,हेमा.सी कृपालानी,रेखा,शिखा कौशिक,आरती शर्मा,सविता,दीप्ती,नेहा, और शालिनी,
सर्व श्री मदन मोहन मिश्रा,सत्यशील अग्रवाल,दिनेश अग्रवाल,एस.पी.सिंह,जे.पी.सींह,प्रकाश चंद पाठक, सतीश,चातक,भुवन,डा. गजेंदर प्रताप,पारीक ओ.पी.शशिभूषण,आशीष द्वेदी,मनोरंजन ठाकुर,राजेश दुबे,अनुराग शर्मा,अनिल कुमार पडित समीर खान,भानु प्रकाश शर्मा,हिमांशु शर्मा,सुभाष/हैश,प्रवीण, योगीसारस्वत, अनिल जी आलीन,संत लाल करूँ ,अक्रक्तले,डा. कुमारेन्द्र, यातींदर चतुर्वेदी,विक्रम जीत सिंह और आनंद प्रवीण!
सीखने का सिद्धांत यह है की कोई भी ऐसा आदमी नहीं है जो पूर्ण हो,आदमी जीवन पर्यंत सीखता ही रहता है और इस शिक्षण की कोई आयु भी नहीं होती, हर आयु में वह सीखता रहता है, छोटे से, बड़े से, अनपढ़ से और विद्वान् से! मुझे लिखने में ज़रा भी संकोच नहीं हो रहा है,की आपसे इस बहाने मैंने बहुत सीखा! मैंने अपने धर्म ग्रन्थ के बारे में सीखा, मैंने कुरआन और ग्रन्थ साहिब तथा बाईबल के बारे में सीखा, आपने मेरे जहाज को अपने ज्ञान रूपी ‘लाईट हाउस’ के प्रकाश से राह ही नहीं दिखाई अपितु अपने आलोक से मुझे भी आलोकित किया! इन सब प्रकार के आदान- प्रदान से कभी आपकी नाराजगी भी सही और अपने विचार आप तक पहुचाने में असफल भी रहा हूँगा, लेकिन ‘सपाटबयानी’ स्वभाव के कारण मैंने अपनी बात आप तक पहुंचाई इस निवेदन के साथ की आप माने तो ठीक न माने तो आपकी मर्जी! इसलिए हो सकता है की आप नाराज भी हुए हों, इसके लिए मै क्षमा प्रार्थी हूँ!
कुछ दिन अभी और आपके संपर्क में हूँ ,सहयोग देते रहियेगा!
आभार और आशीर्वाद की लालसा में!
आपका पीताम्बर ठाकवानी,कोलंबस,ओहायो ( अमेरीका )

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