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क्या से क्या हो गया?

सपाटबयानी
सपाटबयानी
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हामारे देश में जो अब होहल्ला हो रहा है और लोग कह रहे है की कांग्रेस की वर्तमान सरकार चोरो की सर्कार है ! तो क्या यह आज ही अचानक हो गयी ऐसी चोर ?नहीं,यह पहले भी कर रही थी सब कुछ,और सभी सरकारे कर रही थी अब क्या और कोई आ जाएगा तो नहीं करेगा यह सब घोटाले?,बिलकुल ही करेगा/करेगी!पहले मालूम नहीं पड़ता था अब विकास के कारण यह सब मालूम हो पा रहा है! अफ़सोस तो तब हो रहा है जब की पूरे देश को यह मालूम हो गया है और तो और अब लोग कुछ कर नहीं पारहे है तो कह रहे है की हम भी जहा है जिस काम में है केरेंगे सो कर रहे है! इस तरह सब ने खुली लूट कर रखी है वह चाहे ऑटो चलाने वाला हो या किसी दफ्तर में काम करता कोई बाबू हो? रिश्वत न लेने का नियम तो है पर डर कैसा? सो सब पैसा लिये बिना काम न करने के आदि हो गए है, क्योंकि वे जानते है जब सरकार के मंत्री सब कुछ करने को डरते नहीं तो हम क्या खाना नहीं खायेंगे ,हमारे बच्चे क्या पबलिक स्कूल मे नहीं जायेंगे , यदि ऐसा है तो फिर क्यों डरे हम? अब सवाल है की जनता भोली- भाली का तो दुःख बढ़ ही जाना है, उसका क्या हो? अब तो यह हो गया है की “न तू कहे मेरी न मै कहूं तेरी, होने दे धकम ध्हेरी “वकील, जज, पुलीस बाबू टीचर , अफसर बड़ा बाबू कोई भी और किसी को भी डर नहीं रहा घपलो को करने से! सब अपने-अपने नमूने से लगे है एक दूसरे को निचोड़ने में ! यह सिलसिला श्हायद अब १२ .१२ .२०१२ को महाप्रलय पर ही अपने आप समाप्प्त हो जाना है! फिर क्या “सब ठाठ धरा रह जाएगा जब लाद चलेगा बन्जारा” अफ़सोस नहीं करना है और न ही सोचान्ना है — “क्या से क्या हो गया” कहने वाला भी नहीं रहेगा?

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