महिलाओं की समानता के नारे ने देश में नारियों को भी लुटेरा ही बना दिया है! जब वे पुरुषों के सामान है तो पुरुषों द्वारा किये जाने वाले कामो को खुद ही क्यों नहीं कर सकती है? तब वे समानता की बात को क्रियान्वित कर दिखा सकती हैं! हमारी कांग्रेस को चलाने वाली नारी को भी अब भारतीय ही मानना होगा, इसलिये ही शायद हमारे देश को लूटने वाली नारी कहने में कोई संकोच और कोई गलत नहीं कहा जा सकता है! इस नारी ने भारत को खूब लूटा और न जाने कितना और लूटेगी? अफसोस तो तब और होता है की यह नारी अपना घर अपनी कठपुतलियों द्वारा लूट कर भर रही है और खुद पाक-साफ़ बनी हुई है! इसमे मनमोहनजी,ऐ राजा, कलमाडी,राहुल, वाध्रा को शामिल किये हुए है, जो भारतीय है! अब तो इस अंदेशे से भी चौकन्ना रहना होगा की अपने बेटे और दामाद को छोड़ कहीं चुपके से फुर्र न हो जाए? खैर इससे हमारे देश की नारिया भी कुछ ऐसा न सीख जाए? या सीख कर कर रही हो तो हमें नहीं मालूम! यह तो केजरीवाल ही पता कर बता सकते है! इसी तरह देश की पहली नारी राष्ट्रपति ने भी कम नहीं नोचा है राष्ट्रपति भवन को? क्या कभी ध्यान रखा इस भवन की गरिमा और उसकी मर्यादा का? उन्होंने तो इस भवन को और उसमे रखी महामहिम की कुर्सी को ही दागदार बना कर रख दिया है! और इस महिला ने तो जाते समय भवन का सारा सामान ही ले जाना उचित समझा! क्या न सीधी लगती थी सूरत से? आपने तो अपने बेटे को भी इशारा कर दिया की बेटे तू भी खूब लूट देश को मै जो हूँ तुझे बचाने को! बेटा भी धार्मिक किस्म का है, सो कैसे भूल सकता हैअपनी माता श्री के आदेश को? सोचा की —– “तू जननी मै बालक तोरा, काहे न बकसे अवगुण मोरा” हम और हमारा देश इन दो महिलाओं को क्या भूल सकेगा? वे तो विश्वास रखती है की— “बदनाम तो होंगे, पर क्या नाम नहीं होगा?” आने वाला समय भी इन दो महिलाओं को क्या भूल पायेगा ?,नहीं और बिल्कुल भी नहीं!
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