Menu
blogid : 11587 postid : 234

भ्रष्टाचार क्या है?—jagran junction forum

सपाटबयानी
सपाटबयानी
  • 182 Posts
  • 458 Comments

हमारे देश में न जाने कब से यह ‘भ्रष्टाचार’ का शब्द प्रयोग में लाया जा रहा है?और किर्यान्वयन भी चल ही रहा है!, यह क्या है,किसे कहते है,कौन करता है! शायद आज से पहले इसे कोई बहुत ही गंभीरता से नहीं लेता था, जितना आजकल इसके प्रति लोग गंभीर हो गए है ! या कहें जब से इस का दायरा बढ़ा है,या इसकी अति हो गयी है! इस शब्द का वजन तब बढ़ा है जब से इसे लेकर अन्ना का आन्दोलन हुआ, जिसको अब केजरीवाल जी ने हाएजैक कर लिया है! और या फिर नेताओं ने खुले आम हद ही कर दी है! लेकिन मै दावे से कहा सकता हूँ की आज भी इसका मतलब पूर्ण रूप से कोई नहीं जानता शायद इन पंक्तियों को लिखने वाला भी !
हमारे समाज में जो भी हालात है उसके हम सभी जिम्मेदार हैं! कहा यह जाता है की अन्याय सहने वाला अन्याय करने वाले से कम दोषी नहीं होता! हम भ्रष्टाचारी नही हैं पर करने वाले को देख कर चुप क्यों हो जाते है? क्यों चुप रह जाते हैं? क्यों नहीं विरोध करते हैं?
हम इसका मतलब,इसका क्षेत्र .इससे लाभ और इसकी हानिया बताने की कोशिश करेंगे! मैं दावा नही करता की मेरी बात सही होगी, पर इस पर आलोचानाओं के बाद ‘हंस’ के रूप में हमारे ब्लोगर्स भाई जिन्हें ‘मैं नीर- क्षीर विवेकी’ मानता हूँ , जरूर ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ कर हमारे सामने लायेंगे! जिससे इस पोस्ट की बात भी समझी जा सकती है!
भ्रष्टाचार का मतलब है–भ्रष्ट आचरण! कोई भी सरकारी कर्मी जो नियत कार्य करने के बदले वेतन के अलावा पैसा या अतिरिक्त लाभ लेता है या लेने का प्रयास करता है,या काम न करके टाइम पास करके सरकारी काम को ठेंगा दिखाता है! जिससे कार्य लंबित होता है! यदि वह ‘जन सेवक’ है तो ‘जन’ के लिए कार्य न कर बदले में अपना हित ही सोचता है! असामाजिक कार्य करने वाला,हर व्यक्ति! असामाजिक कार्यों मे वे काम भी आते हैं जो कुछ भी श्रम न करके चतुराई कर धन इकट्ठा करते हों मतलब जो धरा पर बोझ बने हुए हैं ‘पारासईट’ हैं ( तथाकथित साधू,सन्यासी ), अपना कार्य जल्दी करवाने के लिए दूसरे का नंबर मारने के लिए लालच देता है! सब ही इस आचरण के घेरे में आते हैं ! मतलब बहुत सारी चीजे जो यहाँ छूटी जा रही हैं वे सब! जिनसे दूसरों का हक़ मारा जाता हो,और दूसरे लोगों को तकलीफ पहुँचने लगती हो! वह भ्रष्टाचार है!
इस परिभाषा से तो हर आदमी ही भ्रष्ट हुआ? चपरासी से लेकर चौकीदार,बाबू से लेकर बड़ा बाबू,अधिकारी से लेकर उप अधिकारी,मंत्री से लेकर उप मंत्री,सी एम् से लेकर उप सी एम्., राज्य मंत्री,और तो और पी एम्र से ल्रकर उप पी एम् तक सभी तो भ्रष्ट ही हुए? मतलब की मंत्री से लेकर संतरी तक सब के सब भ्रष्ट ही हुए! जब सब जगह ही यही लोग मिलेंगे तो फिर क्या करेंगे अन्ना और क्या करेगा केजरीवाल और क्या करेगी हमारी वर्तमान और आने वाली सरकारें?
अब हम इस बात पर चर्चा करेंगे की क्या यह रोग हमारे देश में ही है की सभी देशों मे? इसका मतलब यह नहीं है की यदि अन्य देशों में भी हो तो अपने देश में भी चलने दें! नहीं, बिलकुल नहीं! मैं लम्बे समय से अमेरीका में हूँ ,लोगों से इसके बारे में चर्चा भी होती है पर अपने देश जैसी बुरी हालत इस देश मे तो नहीं है और अब जो हमारे यहाँ का भांडा- फोड़ हुआ है या हुए हैं, वैसा तो बिलकुल नहीं देखा या सुना गया था! क्यूंकि यह जनता का पैसा है और कुछ लोगों ने जनता से इसका साक्षात्कार करवाया है तो लोगों की समझ में बात आने लगी है और पहले वाला दर्द और गहराने लगा है! कहने का मतलब अन्य विकसित देशों में यह बात नहीं है, हो सकता है की अन्य विकासशील देशों मे और भी अधिक हो! इसका मतलब यह नहीं है की हम इसे सहते चलें! हमें तो अच्छी बातें लानी हैं न की बुरी बातों का साथ दे!
इसके लाभ और हानियों के बारे में यह है! लाभ तो उनका हो रहा है जो कुर्सियों पर काबिज हैं और हानि उनकी हो रही हैं जो बेबस हैं और कुछ भी नहीं कर पा रहे है! और गरीबी की हालात से रूबरू हो रहे हैं! उनका सरासर नुकसान ही है जिसे न जाने कितने जन्मों तक यह गरीब जनता चुकाती रहेगी? कहावत है की “जितना बड़ा जूता उतनी अधिक पालिश” पर अब जनता हैरान है की पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन जी के धेवते सलमान खुर्शीद ने केवल ७१ लाख प़र ही अपनी नीयत कैसे गिरा दी? अपने नाना जी के पद का भी ख्याल नहीं रखा? इससे तो वाड्रा जी सही निकले करोड़ों का घोटाला तो कर अपनी सासू माँ के पद का तो ख्याल रखा! वैसे पूर्व राष्ट्रपति प्रितिभा जी के बेटे और शीला दीक्षित जी के बेटे अच्छे निकले अपनी जननीयों के पदानुसार बड़ी नकद करेंसी के साथ सूर्खीयों में आ सके! हालांकि उन्हें कुछ भी नहीं हुआ क्यूंकि ” तू जननी मै बालक तोरा, काहे न बकसहीं अवगुण मोरा ” माता श्री है ना, फिर हम क्यों डरें?,किस काम आयेंगी माता श्री?
हमारा देश अब ऐसी हालत मे आ गया है की इस भ्रष्टाचार से बाहर आना असम्भव नहीं तो मुश्किल जरूर है!
भगवान् भी अब कुछ नहीं कर सकता है!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply