आज देश की हालत सबको मालूम है ! हम अभी तक भी समझ नहीं पारहे है की क्यों हम स्वतन्त्र देश में अपाहिज से है? जब की अब हमारा देश और हम आजाद है! कभी-कभी लगता है की कैसे अंग्रेजो से लोहा ले पाए थे? हम भारतीय और वह भी बिना तोप और तलवार के? तमाम बुद्धि जीवी ,विचारक और साधू सन्यासी हमारे देश में होते हुए भी हम परेशान है ! और देश की ७०% जनता भूखी सो जाती है और ये लोग जो अपने ही भाई है देश का पैसा लूट रहे है? अब हमें मुंशी प्रेम चन्द की यह उक्ति याद आती है की हम अपने घर की लड़ाई का समाधान नहीं कर सकते, जब की बाहर की लड़ाई लड़ सकते है! अब क्योंकि आजकल यह लड़ाई हमारे भाई बंधुओ की है , इसलिये इससे पार पाना मुश्किल लगता है! क्या ये वही देश है जहा पर सब एक हो कर रहते थे ,और बाहर के लोगो को खदेड़ दिया था? कही यह बात झूठी तो नहीं थी? यदि यह सही है तो अब क्या कारण है की हम एक दूसरे का मुंह ही ताक रहे है?,बेबस और लाचार है? क्या यह अन्गेरेजो के जमाने से भी बद्दर ज़माना नहीं है? लोग क्या झूठे से ही कहते थे की — अंग्रेजो के खुशहाल राज्य से , अपना बद्दतर राज्य ही अच्छा है! अगर यह बात सही है तो आपने देखा की क्या हाल है अपने राज में? अब लगता है की हमें फिर गुलाम हो जाना चाहीये? और हम है भी गुलाम ! क्योंकि आजकल तो इटली की महारानी का ही अधिकार जो है हम पर? पहले इंग्लॅण्ड का राज था, अब इटली की महारानी का राज! कैसे भूल सकते है की हम और हमारा देश १९४७ में आजाद हुआ था? हां एक बात हो सकती है, जिन लोगो ने पहले कुर्बानीया दी थी अब कोई भी कुर्बानी देने वाला नहीं है इसलिए शायद यह हाल हो गया है!क्योंकि अब सब सोचते है की—- “इस देश की रक्षा कौन करे औए सेंत-मेंत में कौन मरे?” चाहे अन्ना हो या केजरीवाल या फिर हो बी.जे. पी., गाल तो बजाने वाले बहुत है पर देश पर नियोच्छावर होने वाले कौन??, कोई भी नहीं!
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