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Sachin God of Cricket

परिवर्तन की ओर.......
परिवर्तन की ओर.......
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हमारे देश का बड़ा दुर्भाग्य रहा हैं की यहाँ मुद्दों की कभी कमी नहीं रही. हर बार एक नया मुद्दा लोगो को मिल जाता हैं. और उस मुद्दे पर राय देना हर एक आदमी अपना अधिकार समझता हैं. कई बार इन मुद्दों के कारन हम दूसरो की भावनाओ के साथ खिलवाड़ करते हैं.
आज कल एक नया मुद्दा सचिन को भारत रत्न मिलने को लेकर उठाया ज रहा हैं. हर चौक चौराहे पर बस यही मुद्दा हैं.

इस मुद्दे को उछालने मैं सबसे आगे मीडिया रहा वो मीडिया जिसने सचिन को ना जाने कितने बार टीम पर बोझ बता दिया वो उसको भारत रत्न दिलाने मैं बढ़ चढ़ के भाग ले रहा हैं.
क्या वास्तव मैं सचिन को भारत रत्न इतना बड़ा मुद्दा हैं की हर तरफ उसको जोर शोर से उठाया जा रहा हैं? क्या वास्तव मैं सचिन को भारत रत्न मिलना इतना जरूरी हैं. क्या सचिन जिसे क्रिकेट का भगवान् माना जाता हो उसे कोई पुरुस्कार मिलने से कोई फर्क पड़ेगा. सचिन, अमिताभ बच्चन लता मंगेशकर, ध्यान चंद या और ऐसे महान लोग जिन्होंने अपने कार्य क्षेत्र की बुलंदियों को पा लिया हो, को कोई सम्मान की जरूरत हैं, वास्तव मैं ये वो नाम हैं जिन्हें ये पुरस्कार मिलने से इस पुरस्कार का सम्मान बढेगा. महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद जैसे कई नाम हैं जिनको ये पुरस्कार नहीं मिला मगर आज भी ये समाज के लिए आदर्श हैं. वही दुसरी और भारत रत्न के सूचि देखने पर कई नाम ऐसे मिलते हैं जिनके बारे मैं सोचना पड़ता हैं की आखिर ये था कौन? भगवानो की पूजा के लिए केवल श्रधा की जरुरत होती हैं भेट या चढ़ावे की नहीं. उसी तरह सचिन जैसे महान लोग जो खुद किसी देश के लिए रत्न हो उनको कोई रत्न के जरोरत नहीं.

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