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आज एक मेसेज पढ़ा की………………..
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UNESCO, on this Friday announced some thing which we all knew always. Indian National Anthem is the best amongst 200 odd countries in the world.
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पर क्या ये गौरव का विषय है…………………जन गन मन अधिनायक भारत भाग्य विधाता……………. ये राष्ट्रगान 1911 में जार्ज पंचम के आगमन पर गाया गया था. उसकी स्तुति गान के रूप में…………. ये मैं पूर्व में भी कह चूका हूँ……….की
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अगर आप इस के लिए बने नियम पर गौर करे तो आपको लगेगा की आजभी हम जार्ज पंचम के सम्मान में खड़े है. और उसको कह रहे है,, की तू भारत का भाग्य विधाता है और तेरी जय हे…………..
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भारतीय परंपरा में चाहे वो हिन्दुओं में हो चाहे मुस्लिमों में या अन्य किसी भी धर्म में, ऐसे कोई प्रथा नहीं है की जब उनका धर्म श्लोक गाया जाये या कुरआन का पाठ हो तो सब सीधे खड़े हो कर रुक जाये……… पर अगर आप गौर करे तो अंग्रजों में ये परम्परा है की जब राजा या रानी आये तो सब झुक कर अपनी अपनी जगह पर सीधे खड़े हो जाते है……
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आज भी जब राष्ट्र गान के सम्मान में आवाज़ कान पर पड़ते ही मैं अपनी जगह पर खड़ा हो जाता हूँ तो लगत है की ये किसका सम्मान में कर रहा हूँ……….. पुराने ब्लॉग में एक प्रतिक्रिया में एक मित्र ने कहा था की anthem उस गीत को कहते हैं जो चर्च में सुबह और शाम को गाया जाता है, खासतौर से इंग्लैंड के चर्चों में……..
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तो हर बार ऐसा ही क्यूँ होता है की हमें वहां सम्मान मिलता है…………. जहाँ हम अंग्रेजों के प्रति श्रद्धा दिखाते हैं………… ये गोरे हमे सम्मान देने के नाम पर हमारी गुलाम मानसिकता को सम्मान देते हैं…………..
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यदि सारे गोरे मिलकर ये कहें की बाइबिल गीता से अधिक श्रेष्ठ है तो क्या ये सही होगा…………. ये हमारे ऊपर निर्भर है की हम खुद उसको कितना सम्मान देते है……………..
एक और ये अंग्रेज कुरआन को जलने में नहीं झिझकते………….. और दूसरी और हमारे राष्ट्रगान को सम्मान देने की बात करते है……………… कश्मीर पर ये पकिस्तान को समर्थन करते हैं…………. और चीन को भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हैं…………
ये मेरे वैयक्तिक सोच है………….. और अगर ये आपकी भावनाओं को किसी भी तरह ठेस पहुंचती है तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ…………………
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धन्यवाद……………….
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