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रिक्शे वाले का धर्म……..

परिवर्तन की ओर.......
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आज जब हर ओर राम मंदिर का जोर है……….. हर कोई राम के नाम की धुन में मगन है……. ऐसे माहौल में आज एक ऐसे इंसान से मिला जिसने कई सवाल खड़े कर दिए……… जिनका जवाब देना शायद मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है…………. कम से कम मेरे लिए तो है ही……..

आज रविवार का दिन था…………… तो छुट्टी के दिन किसी काम से बाज़ार जाना हो गया……… बाज़ार से लौटते समय जब ऑटो नहीं मिला तो रिक्शा करके ही आ गया…… मैं रिक्शे में कई कारणों से नहीं बैठता हूँ…….. एक तो मुझे यूँ लगता है की हर कोई मुझे देख रहा है………. तो बड़ा संकोच सा होता है………. और दूसरा मेरा घर काफी चढाई पर है तो वहां जाते जाते रिक्शावाला थक जाता है…….. और सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण बात ये है की ऑटो सस्ता भी पड़ता है और समय भी बचाता है………….

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पर आज कोई कारण काम नहीं आया और रिक्शे पर बैठना ही पड़ा…….. बरसात हो रही थी…. इसलिए सड़क पर लोग भी कम ही थे……… तो कम से कम संकोच की भावना तो नहीं थी…… और रिक्शा वाला भी मुझे ले जाने को तैयार था……. हालाँकि वो उतनी दूर की सवारियां नहीं ले जाता था……… और रिक्शा चल पड़ा……….अब जैसे ही रिक्शा चौराहे के पास से गुजरा तो स्वाभाववश वहां पड़ने वाले मंदिर पर मैंने सर झुका लिया…… और जय हो प्रभु का उच्चारण किया….. जो की मेरी आदत है……… तो रिक्शे वाला बोल पड़ा………. साहब राम मंदिर पर फैसला टल गया क्या….?……… मैं थोडा चौंका……. और मैंने उसको पूछा आपका भी ध्यान है इस मुद्दे पर……….. तो वो बोला हमारे लिए तो इ जीवन मरण का प्रसन है बाबु जी……

मैं फिर चौका की यार मैं इस मुद्दे से दूर हूँ और एक रिक्शे वाला भगवान् श्री राम के नाम पर मरने को तैयार है…………. सकुचाते हुए मैंने पूछा………. तुम क्या चाहते हो ………. क्या हो फैसला……… तो वो बोला कुछो फैसला कर लो पर हमऊं और हमार परिवार को जीने दो…. एक और झटका लगा………. अपने ऊपर क्रोध आया की आधी बात सुनकर ही इस रिक्शे वाले को कैसे मैंने राम भक्त सोच लिया………… अब लगा शायद ये कोई मुसलमान हो….. इसलिए ऐसा कह रहा है……. मैंने कहा की नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा इस बार…………

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प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है ……. दंगा फसाद नहीं होने देंगे………….. पर दोनों पक्षों को शांति बनाये रखनी पड़ेगी……… वो हंस कर बोला तो क्या कर्फु और बंद नहीं होंगे……….

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मैंने कहा नहीं कर्फ्यू तो लग सकता है पर वो केवल एतिहात के लिए होगा………. और शायद बाज़ार भी कुछ दिन बंद रहे………. ये तो जरूरी है दंगा फसाद रोकने को………. क्योकि दोनों पक्षों के लोग कुछ करें या ना करें ………. पर कुछ असामाजिक लोग भड़काने की नियत से कुछ भी कर सकते हैं…………..

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वो बोला तो मौत तो तय है………… मैं फिर चौंका ……….. मैंने कहा अब कर्फ्यू में कौन किसी को मार सकता है……….. तो वो एक लम्बे से मौन के बाद बोला………….. भूख……….
साब क्या कर्फु में भूख छोड़ देगी……. जब बाज़ार बंद रहेगा तो ये रिक्शा मा कौन बैठेगा…… आपके पास तो पैसा है …….. आप लोग लड़ लेंगे कर्फु में भी भूख से पर हम तो मर जायेंगे………. गहरी सांस लेकर मैंने कहा ……. हां. ये तो है पर किया क्या जा सकता है….

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फिर उसने पूछा हम भगवान् के बच्चे हैं न…… मैंने कहा मैं कुछ समझा नहीं……….. तो वो बोला की हम सारे इंसान उस भगवान् के ही तो बच्चे है न……….. मैंने कहा हाँ ……… फिर वो बोला तो क्या कोई बाप अपने घर के लिए अपने बच्चों की लाश से बुनियाद डाल सकता है……… इ तो वही राम चंदर हैं न जो आपन बाबु जी के कहे पर घर छोड़ दिए थे…… मैंने कहा हाँ….. तो क्या ……… वो फिर बोला की तो का उ राम चंदर इहां ऐसन मंदिर में रहेंगे…

और जब उ जगह मस्जिद थी……….. तो जो उ समय खुद को नहीं बचा सकी उ की का जरोरत है दुबारा…… का फायदा बाबू इ बार बार का फसाद से……..

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मैंने समझाया नहीं………… ये तो एक निशानी है की यहाँ राम चन्द्र जी पैदा हुए थे तो इसलिए उनका मंदिर बना दिया जाये…………… जो की बाबर ने मस्जिद बनाकर कब्ज़ा रखा था…. एक छोटा सा बात और पूछें बाबू……… मैं चौंकाऊ प्रश्न की अगली किश्त के लिए तैयार था…….. वो बोला बाबू हनुमान ने रामायण में राम चंदर जी की भक्ति साबित करने को क्या किये थे……. तो मैं बोला की उन्होंने छाती चीर कर दिखा दी…….. और वहां रामचंद्र और सीता मैय्या की छवि दिखाई…….

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क्यों …… उ भी तो एठ्ठो बड़ा सा मंदिर बना कर दिखा सकते थे……मैंने कहा अरे मन से बड़ा कोई मंदिर है क्या……….. तो वो बोला तो अयोध्या में का बनवाओगे…….? अब मै झल्लाने की स्थिती में पहुँच चूका था ……. रिक्शा वाला मेरे सब्र की परीक्षा ले रहा था……. फिर भी मैंने सब्र से काम लिया…….. मैंने कहा की वो हमारा अधिकार है………. ये हमारे स्वाभिमान का प्रश्न है …… इसलिए हमको चाहिए……….

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रिक्शा वाला भी पूरी तैयारी से था……… और सुबह से मुझ सा कोई अल्प ज्ञानी शायद उसको मिला नहीं था इस लिए वो मुझ पर अपनी प्रतिभा साबित करना चाह रहा था….. वो बोला की साब इ देश मा न रोजगार मिल रहा है न रोटी कपडा और मकान जो की हमार अधिकार है तो फिर इ मंदिर का ही अधिकार काहे मांगे…….आपका स्वाभिमान गरीबन की जान से बड़ा है का…….

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मांगो तो हमार खातिर २ जून का रोटी भी मांग लो……… हमार बच्वाओं की खातिर कपडा लत्ता भी मांग लो……….. आप पैसे वाला लोग भगवान् का ले लो……… पर हमको इ आम चीज़े तो दई दो…. बाबु जिन मंदिर का खातिर तुम लोग लड़त हो उ का आगे ही हम गरीब लोग आपन धरम पूरा करे का खातिर हिन्दू मुसलमान मिल कर भीख मांगते हैं……… मैंने कहा ये कौन सा धर्म है…….. वो बोला बाप होने का धरम…………. पति होने का धरम………. बाबू…… उ मंदिर का आगे जिसका खातिर तुम सब लोग लड़त हो ……. सारे भिखारी आपन धरम भूल कर इ पेट का धरम पूरा करत हैं……..

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अब मैं कुछ कहने की हालत में नहीं था मैंने उतरना ही सही समझा ……….. मैंने उसको बीस का नोट दिया और कुछ सोचता हुआ आगे बढ़ गया…………. तभी वो वापस आया और बोला बाबू………… मैं फिर चौंका की जाने अब क्या कहने आ गया……….. वो बोला आपके दस ही रुपए होत हैं…………. इ लो रखो दस रुपए…………

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मैंने उससे पूछा की आपका नाम क्या है…………. उसने बोला धरम सीधा सीधा कर के पूछ लो…….. नाम भी तो उ का खातिर ही पूछत हो…… सोहन लाल है हमार नाम……….. पर बाबु एक भूख नाम पूछ का नहीं न मारे है……….. और वो कई प्रश्न छोड़ता हुआ चल दिया……….

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एक सवाल मेरे मन में उठता है की………. क्या कोर्ट के फैसले को बिना किसी फसाद के स्वीकार नहीं किया जा सकता…….. ताकि इस रिक्शे वाले जैसे कई लोग जो रोज कुवां खोदते हैं……… और रोज पानी पीते हैं….. वो अपना धरम निभा सकें……….. ये पहल किसी एक धर्म की और से नहीं हो सकती इसके लिए दोनों को आगे आना होगा……….. हिन्दू व मुस्लिम दोनों समुदायों ने इसे नाक का विषय बना लिया है………. पर क्या अपने अपने धर्म के गरीबों के लिए ही सही शांति व्यवस्था बनायीं नहीं जा सकती…………. मैं प्रार्थना करता हूँ की हमें अपनी प्रतिरक्षा हेतु लड़ना न पड़े…… और सबकुछ शांति से सुलझ जाये……… आज तक कोर्ट के निर्णय को मानने को तैयार दोनों पक्ष कोर्ट की बात पर ही राज़ी हो जाएँ…………

कोर्ट का फैसला कुछ भी हो बस हो जाये………… ताकि इसके समाधान की और कुछ प्रयास हों………… ये तय है की दूसरा पक्ष सुप्रीम कोर्ट में जायेगा ही …………… तो कम से कम इस फैसले को शांति से स्वीकार कर कोई ऐसा काम न किया जाये जिस से हमारे उन भाईओं को कोई परेशानी हो जो एक दुसरे पर भरोसा कर रह रहे थे………… अर्थात हिन्दू बाहुल क्षेत्रों में रह रहे मुस्लिमो को और मुस्लिम बाहुल क्षेत्रों में रह रहे हिन्दुओं को……. ऐसा मैं उस छोटे से लड़के की और से कह रहा हूँ जो अपने घर से दूर छोटी सी उम्र मैं हमारे यहाँ गाँव में नाइ का काम कर रहा है……… और एक अजीब से खौफ में है की जाने क्या हो ……………. कई बार पूछ चूका है की क्या होगा भैया …….. और क्या मैं अपने घर चला जाऊं…… और मैं उसको कह चूका हूँ……. की फैसला कुछ भी हो ………. मंदिर बने या न बने तेरा काम बंद नहीं होगा………. हम सब तेरे साथ हैं…….
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