Menu
blogid : 18093 postid : 1148899

“अपने काम से काम रखो”-बाबा जी का हितोपदेश

SUBODHA
SUBODHA
  • 240 Posts
  • 617 Comments

कोई भी माँ-बाप ,संरक्षक,जो समझदार हैं ,जिन्होंने दुनिया देखी ,अनुभव की , जब अपनी संतान को घर से बाहर भेजते हैं ,तो हितोपदेश देते हैं ,हमारे भी बाबा जी ने हमें सीख दी -” अपनी रास्ता आओ और अपनी रास्ता जाओ ,कहाँ क्या हो रहा ,कौन क्या कर रहा ,इसमें ज्यादा मत पड़ो,कोई कुछ कह भी दे ,तो सुन लो ,उलटा जबाब देकर बात को बढ़ाओ मत ,इसी में भलाई है” | ” दुष्ट इंसान अपने कर्मो से खुद नष्ट हो जाएगा ,उससे उलझकर अपने को और छोटा करो ” |
एक बार मैं (बाबा जी ),बाज़ार से वापस आ रहा था, पक्की सड़क से कच्ची सड़क की और मुड़ा,तो एक नौजवान चरवाहा ,मुझे साइकिल से आते देख ,सड़क पर अपनी लाठी टेक कर आधे से अधिक सड़क घेरकर खड़ा हो गया ,मैंने थोड़ा घूमकर साइकिल निकाल ली ,तुरंत पीछे से एक दूसरा साइकिल सवार आ रहा था,उसने उस चरवाहे से कहा,” हट रास्ते से,लाठी हटा रहा या उतरूं मैं ,तुझे क्या लगा मैं भी उन चाचा के जैसे चुपचाप निकल जाऊंगा | अतः “जैसे को तैसे” बहुत जल्दी मिल जाते हैं |
|| तामस बहुत रजोगुण थोरा | कलि प्रभाव विरोध चहुँ अोरा ||

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh