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आज की राजनीति में सत्ता लोलुपता अधिक दृष्टिगोचर हो रही,जबकि सत्ता ,सबसे महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी है,तुलसी के शब्दों में –
जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी | सो नृप अवसि नरक अधिकारी ||
राजा ( सत्तासीन इंसान ) को त्यागी और वैरागी होना चाहिए ,तभी उसके अंदर देशहित करने के सुविचार आएंगे और तभी समाज और राष्ट्र का हित होगा,क्यूंकि जैसा राजा ,वैसी प्रजा | नहीं तो अनाचार ,भ्रष्टाचार, पापाचार ,व्यभिचार बढ़ेगा | वाल्मीकि रामायण में राम ने भरत को चित्रकूट में बहुत श्रेष्ठ राजधर्म सिखाया ,बहुत विस्तार से उन्होंने राजा के असमर्थ होने पर राज्य की कैसी बदहाली होती है ,इसका चित्रण किया |
लोकतंत्र में और उसमे भी हमारे देश भारत में ,जनता एक क्षण जय -जयकार भी करती है,तो दूसरे क्षण जूता भी उछाल देती है,इस देश की जनता नेताओं से कही अधिक बुद्धिमान है ,मेरी समझ से यही इस देश का सौभाग्य है ,क्यूंकि जनता ,कैकेयी को गाली दे सकती है ,जनता भरत का अनुगमन करते हुए राम को मनाने जा सकती है ,जनता राम राज्याभिषेक कर सकती है और जनता ,सीता के सतीत्व पर प्रश्नचिन्ह भी लगा सकती है और जनमानस में जो विचार उठते हैं ,वह बहुत तीव्रगति से प्रसारित होते हैं |
वैसे देश की राजनीति में बहुत परिवर्तन हो रहे हैं,और परिवर्तन आवश्यक भी है ,पर देखना यह होगा इस पूरी पिक्चर में कौन महानायक बनेगा ,कौन नायक और कौन खलनायक |
वैसे राजनीति के चौपड़ में कुछ हारकर भी जीत जाते हैं और कुछ जीतकर भी सबकुछ हार जाते हैं | उदाहरण के तौर पर -सोनिया गांधी ,स्मृति ईरानी |
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