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“एक सैन्य अधिकारी की जीवनी”-OROP के सन्दर्भ में

SUBODHA
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देश में OROP (ONE RANK ,ONE PENSION) का मुद्दा बहुत दिनों से चल रहा है,पूर्व सैन्य जवानों और अधिकारियों द्वारा आंदोलन लगातार चल रहा है,सेना के हर जवान पर देश को गर्व होता है ,समाज में उसकी एक विशिष्ट पहचान होती है,लोग आदर के साथ कहतें -फलां आदमी ,फ़ौजी है | फ़ौज का अनुशासन इंसान को बहुत ऊपर उठा देता है ,पर बहुत से फ़ौजी परिवार कष्टमय जीवन भी बिताते हैं | आइये , इस मौके पर आप के समक्ष एक फ़ौजी की सच्ची कहानी बयाँ करता हूँ –
एक बड़े किसान का बड़ा बेटा,जिसे किसान ने कभी घर अथवा कृषि का कोई कार्य नहीं करने दिया ,ताकि उनका ज्येष्ठ पुत्र अपने अध्ययन में अधिक समय दे सके,वह पुत्र भी अधिक होनहार बहुत अच्छे से पढ़ाई में रूचि ली | यह सिद्धांत और अच्छी नीति भी है -यदि ज्येष्ठ संतान ने सही रास्ता पकड़ लिया ,तो बाकी सब स्वतः सही चलने लगते हैं -उस अग्रज का अनुकरण करते हुए | अतः किसान के इस सिद्धांत ने अनुशासन बहुत रखा,चाणक्य का सिद्धांत है -प्राप्ते षोडशे वर्षे ,पुत्रं मित्रवत (भ्रातृवत )समाचरेत,पर किसान ,उस उम्र में भी बच्चों पर बहुत कड़क बने रहे | इसे आत्मिक प्रभाव ,जातीय प्रभाव या आनुवंशिक प्रभाव या ईस्वरीय प्रेरणा कुछ भी कह लिया जाये ,पर कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं -जो फूल से भी कोमल और पत्थर से भी कठोर,उन्हें समझना मुश्किल नहीं ,नामुमकिन होता है, स्नेह ,प्रेम के वशीभूत हो, कहो सर पर बिठा लें और क्रोध होने पर गोद से एक फर्लांग दूर फेंक दे | पिता के इतने कड़क अनुशासन ने पुत्र मन में विद्रोह भर दिया | कहते किशोर पुत्र को बहुत स्पाइसी भोजन रुचिकर, और माँ इतने बड़े परिवार में बैसा बनाने में असंभव | भोजन की थाली देखकर पुत्र कहता -यह कैसा बनाया ? माता,IT’S LIKE A SHIT. एक -दो दिन पिता ने रोका ,ऐसा नहीं कहते भोजन के सन्दर्भ में ,पर एक दिन पिता -पुत्र आमने सामने बैठकर भोजन कर रहे थे,पुत्र से वही पुनरावृत्ति हो गयी ,पिता के पास पीतल के लोटे में जल था,वही भारी लोटा उठाकर पुत्र के मस्तक पर प्रहार कर दिया और चौक में आकर अपनी वृद्धा माँ से कहा -“जाओ ,देखो जाकर ,खपड़ी फार दी” | पुत्र इतने अनुशासनिक वातावरण में बड़ा हुआ, विज्ञान स्नातक का द्वितीय वर्ष था ,उसी अवधि में ताऊ जी के पुत्र का विवाह हुआ और साली से आप का प्रेम प्रसंग हो गया | पिता को अपने मेधावी युवा पुत्र के इस नए कदम से बहुत कष्ट हुआ और उन्होंने उसे घर से बाहर निकाल दिया | १-२ दिन चाचा के यहां रहे ,पर जब ऐसा लगा -पिता जी का क्रोध शांत नहीं होगा ,तो पुत्र ने गाँव ,छोड़ने का मन बना लिया | रामचरितमानस का वह प्रसंग ,जिसमे राम ,पितृ आज्ञा शिरोधार्य करके वन जाते हैं ,उत्तर भारत के बहुत से पुत्रो का आदर्श है |
न कुछ पैसे ,न दूसरे वस्त्र ,पर हिम्मत और धैर्य के साथ यौवन के भटके कदम ,आत्मनिर्भर बनने के लिए आतुर होकर पद यात्रा करने लगे | रस्ते के एक मक्के के खेत से ३-४ किलो ककड़ी तोड़ी और कस्वे में आकर उसे बेंच दिया ,शहर जाने का किराया हो गया | फतेहगढ़ पहुंचकर देखा तो आर्मी की भर्ती चालू थी ,वहां अपने आप को प्रस्तुत किया और भर्ती हो गए | विज्ञान ,तकनीक और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी कमांड होने के कारण अतिशीघ्र पदोन्नति हो गयी – आप जूनियर कमीशन अफसर(JCO ) हो गए | सेना में रहते हुए आप को बहुत अवार्ड ,पदक ,राष्टृपति से सम्मान मिला ,पर सेना की नौकरी और अधिक स्थनान्तरण होने के कारण परिवार को समय नहीं दे सके ,परिणामतः बच्चे अधिक योग्य न बन सके | पैसे और प्यार से कही अधिक पिता का अनुशासन भी बहुत मत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है ,जीवन के ढलने में | मानसिक तनाव ,अनवरत हाला -प्याला के कारण सेवा के ५ वर्ष पूर्व ही निवृत्त्ति हो गए और घर आ गए | समय से पूर्व सेवानिवृत्ति लेने पर सेना का मेडिकल अफसर सर्टिफिकेट देता है,जिसमे लिखा गया -” VERY INTELLIGENT OFFICER,WHO IS NOT ABLE TO CONTROL HIS MIND”.उड़ते पक्षियों पर भी निशाना लगाने की क्षमता,भविष्य को जानने की योग्यता रखने वाला एक सेवानिव्रृति सैन्य अफसर अभी भी अपनी मानसिक शक्ति का पूर्ण समायोजन करने के लिए बहुत व्यग्र है |
|| जय भारत माता || वन्दे मातरम ||

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