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आज से विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र “मेरे प्रिय देश”भारत में लोकसभा के चुनाव प्रारम्भ हो गए.यह चुनाव इस बार एक माह से भी अधिक चलेंगे ,एक माह से अधिक चले भी क्यूँ न ,देश की आबादी जो लगातार बढ़ रही है .जिनका परिणाम १६ मई को घोषित होगा और जून में हमारे देश को एक नया प्रधान मंत्री मिलेगा.लेकिन एक बड़ा प्रश्न जो मेरे मनोमस्तिष्क को बहुत दिनों से व्यग्र कर रहा है -” इस देश में प्रधानमंत्री पद के कितने उम्मीदवार हैं ?”
यदि कोई अप्लिकेशन सिस्टम होता ,तो शायद मैं भी कुछ सोच -विचार कर अप्लाई अवश्य करता.पर सोच विचार कर.
लेकिन आज के इस राजनैतिक परिदृश्य को देखकर मैं कह रहा हूँ ,इस देश के हर प्रदेश का मुख्यमंत्री ऑटोमैटिक अपने आप को प्रधान मंत्री पद के काबिल समझने लगता है .कोई शिक्षा मंत्री या समाज कल्याण मंत्री बनने की जिज्ञासा कभी प्रगट नहीं करता ,क्यूँ की अन्य विभाग निज की चापलूसी की योगयता और प्रधान मंत्री की कृपा पर निर्भर करते हैं या फिर गठबंधन धर्म के मंदिर बनाने में आप ने कितने ईटें लगायीं .
अब मैं पुनः अपने बचपन के दिनों को याद कर के एक स्टेटमेंट लिख रहा हूँ -जो बहुत से व्यक्तियों को नागवार गुजरे.मेरे विचारक बाबा जी कहा करते थे-” डेमोक्रेसी में एक गधा को ७० % जनता वोट दे ,तो वो भी प्रधान मंत्री बन सकता है. एक छोटे से चपरासी पद के लिए इंसान कुछ पढ़ा -लिखा होना चाहिए, लेकिन प्रधान मंत्री जो देश चलाता ,उसके लिए कोई योगयता नहीं.कोई परीक्षा नहीं ” . बचपन के दिनों में मुझे उनकी ये सब बातें ज्यादा अच्छी नहीं लगती थी . जब भी पास बैठो ,तो कुछ न कुछ प्रवचन ,दार्शनिक बातें .सुनने वाला भी कितना सुनेगा यार .पर जब मैं बाहर निकला ,मैंने अपना घर छोड़ा ,दुनिया देखी,तब से मुझे उन बातों में अधिक विश्वास होने लगा .
“राजनीति” अपने आप में एक बहुत गहन विषय है.इसे इंग्लिश में पोलिटिकल “साइंस” भी कहा गया . साइंस की परिभाषा जैसी मैंने कक्षा ५ में पढ़ी -“किसी भी वस्तु के विषय में ‘क्रमबद्ध’ ,’सुसंगठित’ ज्ञान को विज्ञान कहते है .
“लेकिन आज की मेरे देश की राजनीति में ,न ही क्रमबद्धता है और न ही सुसंगठन;ज्ञान और विज्ञान तो बहुत आगे की बात है”.
पर किसी महान कवी की पंक्तियाँ – “महाभारत” -जो कि विस्व का बहुत बड़ा राजनैतिक विषय और बहुत बड़ा युद्ध भी रहा ,के सन्दर्भ में कही गयीं –
” सौभाग्य न सब दिन सोता है ,देखें आगे क्या होता है .
हा हा दुर्योधन बांध मुझे ,अब हाथ बढ़ा तू साध मुझे ”
इसी शुभकामना के साथ,विश्व और भारत के लिए मंगल कामना ………………………………
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