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जिस तरीके से C.A.G. पिछली सरकार की नाकामियों का लेखा-जोखा और काला चिट्ठा जनता के सामने खोल रही है,सब नुकसान और घाटे का योग किया जाये तो अवश्य ही देश की १२५ करोड़ तो क्या ५०० करोड़ भी आबादी होती तो सब अरबपति अवश्य बन जाते | अभी २ दिवस पूर्व ही मीडिया बता रही थी, C.A.G.ने कितने हज़ार करोड़ का रहस्योद्घाटन पुनः किया | मेरा व्यक्तिगत मानना है ,कांग्रेस की विफलता के पीछे यह घोटाले ही पूर्णरूपेण जिम्मेदार हैं |
अधिक काबिल इंसान को पूर्ण आज़ादी देना अतिआवश्यक है,जिसके अभाव में वह मौन हो जाता है | कभी -कभी मौन स्वीकृति लक्षणम् ही नहीं ,अपितु अस्वीकृति लक्षणम् भी हो जाता है,विशेषकर आप जब चारो तरफ से मूर्खों से आवृत्त हों | बाबा जी एक वाक्य सुनाया करते थे, बचपन में -मूरख मिले,मौन हुइ रहिये;क्यूंकि वह अपने मन की ही करेगा ,तुम्हारी एक भी नहीं सुनेगा ,अतः मौन होने में ही भलाई है,नहीं तो आर्थिक तंगी के मुश्किल दौर में,जब सरकारी कर्मचारियों को भी ३-४ माह वेतन नहीं मिलता था, देश को मज़बूती प्रदान कर नया इतिहास रचकर भारतीय जनमानस का मन मोहने वाला इंसान एक कठपुतली जैसा आचरण कदापि नहीं करता ,उसकी भी बहुत कुछ मज़बूरियाँ रही होंगीं |
इस देश का प्रत्येक इंसान पैसे वाला नहीं बनना चाहता,कुछ तो ऐसे हैं जो पैसे को स्पर्श भी नहीं करना चाहते,पर भोली -भाली जनता सुखी समृद्ध और शिक्षित बने ,यह वह भी चाहते हैं | “आत्मनो मोक्षार्थ,जगत हिताय च” के सिद्धांत पर चलने वाली संताने भारत माता की कोख से अवश्य जन्म लेती हैं,विलम्ब कितना भी हो |
आम जनमानस इतना योग्य नहीं, कि वह अपना विकास कैसे करे इसीलिये हमें सरकार और सिस्टम की आवश्यकता है,पर यदि सरकार और सत्ताधीश व्यक्ति दुराचारी है,तो जन मानस में विक्षोभ होना स्वाभाविक ही है,जिसका परिणाम हम सबके सामने ही है |
भारत जैसे देश में जिसमे आलोचक और समीक्षक कदम -कदम पर हों,एक इंसान की तूती या तानाशाही कभी नहीं चल सकती ,यहां तो सबको साथ में लेकर ही आगे बढ़ना पडेगा,नहीं तो विफलता स्वाभाविक ही है |
अतः सिस्टम को कंट्रोल करने वाले लोग सबका हित सोचकर ही नए कदम उठायें |||
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