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हमारी ७ या ८ की संस्कृत परिचायिका में एक चैप्टर था चोर के ऊपर. चार चोर को राजा ने फाँसी की सजा सुनायी.तीन चोर को फांसी होने के बाद ,जब लास्ट चोर का नंबर आया ,तो उसने एक युक्ति सोची(मरना तो निश्चित है ,यदि बच गए तो बहुत अच्छा).
ऐसा सोचकर उसने कहा,मैं एक विद्या जानता हूँ- राई जैसे आकार के किसी भी प्रकार के दानों को सोने में बदलने की विद्या.मैं चाहता हूँ की मरने से पूर्व कोई यह विद्या सीख ले मुझसे .राजा तैयार हो गया.सोने की जरूरत जो थी उसे.
चोर बोला महाराज एक शर्त है -यह विद्या वही सीख सकता है ,जिसने जीवन में कभी भी किसी वस्तु की चोरी न की हो. एक-एक करके सब अलग होते गए.अन्त में राजा ने कहा -महामंत्री जी आप ही सीख लो.महामंत्री जी बोले-हमने बचपन में लड्डू चुराए थे.महामंत्री जी ने कहा -महाराज आप सीख लो-राजा बोला .हमने भी माँ के पैसे चुराए थे.चोर बोला जब सब चोर हैं ,तो मुझे ही क्यों फांसी हो रही महाराज.
यही हाल इस वक्त मेरे देश का है.
अब एक सत्य घटना-एक व्यक्ति के घर में रजाई नहीं थी ,सर्दी का सीजन शुरू हुआ.बृद्ध माता-पिता बोले बेटा कहीं काम कर ,पैसे कमा,रजाई बनवा लेंगे.वह बोला चिंता मत करो कल शाम तक रजाई आ जाएंगी.उस रात वह ११-१२ बजे के करीब पास के गॉव में गया,उसने देखा घर के बाहर कौन -कौन किधर सोता है.२-३ बजे जब लोग गहरी नींद में सो गए ,सोते हुए चार लोगों के ऊपर से चार रजाई खींच कर घर पर लेकर माँ-बाप को देकर बोला,इस सर्दी का इंतज़ाम हो गया.
१.छोटा व्यक्ति वर्तमान आवश्यकता के हिसाब से चोरी करता है,बड़ा चोर अपने भविष्य के लिए चोरी करता है .
२. छोटा चोर दयालु होता है ,बड़ा चोर निर्दयी.
३.छोटा चोर पकड़ लिया जाये ,तो कबूल कर लेगा कि- मैंने चोरी की. बड़ा चोर, कोर्ट के द्वारा अपराध घोषित होने पर भी कहेगा. मुझे गलत फंसाया गया.
वैसे इस देश का भगवान भी चोर है -श्री राम-विश्व विलोचन चोर ,श्री कृष्ण -चितचोर,माखनचोर. भोले बाबा ने तो खुद ही अपनी चोरी माँ पार्वती से कबूल की- वह और काकभुसुण्डि बहुत दिनों तक अयोध्या में राम जन्म के समय भेष बदलकर प्रभु दर्शन करते रहे( प्रभु दर्शन के लिए भेष बदल कर घूमना भी शिव जी ने चोरी समझा ,पर आज कल न जाने कितने बहुरूपिये समाज में घूम रहे ).
चोरी करके मैंने भी बहुत खाया लेकिन केवल अपने घर पे.एक बार माँ जी ने नाना जी से शिकायत कर दी ,हम सब उनसे बहुत डरते थे ,पर नाना जी बोले – खाने -पीने की चीजों में चोरी नहीं गिनी जाती. मैंने सोचा यह निर्णय तो हमारे ही पक्ष में हो गया.हमने चोरी करने का अमाउंट बढ़ा दिया.
बड़े होकर पता चला ,लोग चारा भी खा सकते हैं ; सेना के अस्त्र -शाश्त्र भी खा सकते हैं ;हेलीकाप्टर और रेल भी निगल सकते हैं,खेल में भी चोरी कर सकते हैं ,कोयला भी खा सकते हैं.
और अन्त में यह भी कह सकते हैं ,सब झूठ हैं.जनता हमें ही वोट देगी ;यह सब भूल जाती है, जैसे बोफोर्स भूल गयी.
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