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“टमाटर३०रुपये किलो-मुंबई में”

SUBODHA
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शीर्षक को पढ़कर प्रिय रीडर्स सोचेंगे मैं व्यंग्य कर रहा हूँ,पर व्यंग्य लेखन मुझे थोड़ा कम ही आता है | बचपन में यदि हम भाई तेज़ हँसने लगते थे,तो बाबा जी कहते -जब हंसने से आवाज़ आने लगे तब शोरगुल बन जाता है और जब तक शांति से हँसो,तब तक मुस्कुराहट कहलाता है,अतः हास्य को मुस्कुराहट ही रहने दो,शोरगुल मत बनाओ | पर आज की सभ्यता है,जो ज्यादा तेज़ हँसे वह ज्यादा अच्छा जज है,लाफ्टर शो में |
खैर जाने दो,टमाटर की बात करते हैं | बहुत महंगा है,अपने रंग के अनुसार अपना भाव भी दिखा रहा आजकल | पिछले बाज़ार मैंने १६० रुपये का ढाई किलो खरीदा,मेरी सासू माँ भी ,अपनी पुत्री से मोबाइल वार्ता के दौरान यही पूछती मैं टमाटर क्या हिसाब लाया,प्रतिक्रिया में कहती अरे यहां दिल्ली में तो १०० रुपये किलो खरीदा हमने | परम आदरणीया धर्मपत्नी महोदया,मेरी कुल संचालिका कहती,ये मंडी से लाते हैं सब्जी | आप भी संडे को मंडी जाकर ले आया करो |
पर कल जब मैं शाम को अपने सेक्टर की सड़क पर घूम रहा था,तो सड़क के एक सूनसान स्थान पर जहाँ दूसरी सब्जी की दुकाने ख़त्म हो जातीं,वहा एक छोटी गाड़ी खड़ी हुयी देखी,जिस पर advertisement के तौर पर यूँ लिखा था – हॉर्टिकल्चर मिशन के अंतर्गत -नेचर’स फ्रेश वेजिटेबल्स | गाड़ी के पास जाकर जानकारी हासिल करने का कौतूहल मन में उमड़ा और उस वाहन के पास जा पहुंचा,वहां ग्राहक के रूप में मात्र दो व्यक्ति आलरेडी थे ,एक युवक और एक वरिष्ठ महिला | मेरे पहुँचने तक वरिष्ठ महिला ने प्रश्न किया-टमाटर क्या भाव | सब्जी वाले ने उत्तर दिया ३० रुपये किलो | पहले तो मैं सुनकर अचंभित हो गया,फिर भी मैंने पूछा -गोभी क्या हिसाब,वह बोला -फ्लावर | हमने सोचा यार मैं ही इंग्लिश से थोड़ा दूर हूँ, तब तक उसने कहा ५० रुपये किलो | मैंने पुनः दूसरा प्रश्न किया,सीधे गांव से सब्जी आती है क्या,उत्तर -हाँ ;दूसरा प्रश्न -गली में एक ही जगह पर डेली गाड़ी खड़ी करते हो क्या?उत्तर -हाँ;कब से कब तक रहते हो -शाम को ५ से ८;संडे को भी?,बोला -नहीं |
मैंने कहा ,अभी तो घर पर सब्जी है,next टाइम इधर ही आऊंगा |
काश इस देश में ऐसे सिस्टम को त्वरित गति और अधिक प्रसार मिले,जिससे “घर -घर सब्जी -हर घर सब्जी” गांव से ही कोई किसान लेकर पहुँचाये,तो महगाई अवश्य कम होगी और देश में सभी सुखी होंगे |
मोबाइल टेक्नोलॉजी में मैं थोड़ा कमजोर हूँ,और उन झंझटों में पड़ना भी नहीं चाहता ,नहीं तो फोटो वगैरह भी प्रदर्शित कर देता ब्लॉग में |

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