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“डिजिटल रामचरितमानस और आज का समाज”

SUBODHA
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कल ३१ अगस्त २०१५ को हमारे प्रधानमंत्री जी ने आकाशवाणी द्वारा संकलित डिजिटल रामचरितमानस का लोकार्पण किया | व्यक्तिगत तौर पर मुझे बहुत प्रसन्नता हुयी |
मैं जब ननिहाल जाता था ,तो नाना जी के रेडियो पर आकाशवाणी का रामचरितमानस का प्रसारण सुनता था ,घर पर बाबू जी ने रेडियो ,टीवी की व्यवस्था नहीं की ,ताकि हम अनुशासनहीन न हो जाएँ | बहुत अच्छा लगता था वह प्रसारण | मैंने बहुत से हिंदी( सोहन लाल द्विवेदी ,जय शंकर प्रसाद ,भारतेंदु हरिश्चंद्र ,वेदव्रत वाजपेयी,मुंशी प्रेमचन्द्र ,निर्मला सिंह गौर,संतलाल करुण ) और इंग्लिश साहित्यकारों(विल्लियम शेक्सपियर ,जॉन मिल्टन , चेतन भगत,माधुरी बेनर्जी आदि ) को पढ़ा , संस्कृत की वाल्मीकि रामायण और अध्यात्म रामायण ,भागवत,गीता,दुर्गा सप्तशती आदि पुस्तकों का भी अध्ययन किया,पर न जाने क्यों तुलसी साहित्य में रामचरितमानस मेरे मन मानस के सबसे निकट है ,इतना सहज और सुन्दर काव्य दूसरा नहीं हो सकता,जब भी कुछ दिनों के लिए मैं रामचरितमानस के दैनिक पाठ से किसी कारण वश वंचित रह जाऊँ,तो आभाष होता है जैसे कुछ खो गया ,जैसे कोई प्रिय मुझसे दूर हो रहा हो |
छात्र जीवन से लेकर अब तक जब भी मैं अकेला पड़ा ,तो मुझे रामचरितमानस की ही याद आयी ,अवश्य ही इस ग्रन्थ या पुस्तक या काव्य या साहित्य में सब कुछ समाया हुआ है ,साहित्य के सभी श्रृंगार इसमें पूर्ण रूपेण सन्निहित हैं | मेरे बाबा जी मुझसे कहा करते हैं ,कोई साधारण इंसान इतना अच्छा काव्य नहीं लिख सकता ,अवश्य ही तुलसी पर कोई ईश्वरीय शक्ति विराजमान थी |
आज कल देश की मीडिआ में शीना मर्डर केस छाया हुआ है ,और कल मैंने यह रामचरितमानस की एक नयी चौपाई कंठस्थ की-
“निरखि राम शोभा उर धरहू | निज मन फनि मूरति मनि करहू ||”
बाल काण्ड की चौपाई है ,राम बारात जनकपुर से अवध वापस आने की तैयारी है ,जनक पुर के नागरिक यह कह रहे हैं – राम की शोभा को अपने हृदय में रखिये,अपना मन सांप के फ़न के सामान है और राम, मणि के समान अर्थात अगर जहरीला जीव भी राम की मूर्ती को अपने हृदय में उतार ले,तो वह सबसे अच्छा बन जाएगा |
|| जय श्री राम ||

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