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“नारी और तेज़ाब”

SUBODHA
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कुछ सप्ताह पूर्व मैंने एक कविता लिखी थी,”कन्या तेरे हाथ में तेज़ाब चाहता हूँ “||| बहुत से जनमानस ने उस को पढ़ा,कुछ शुभचिंतक साथियों और वरिष्ठ बुद्धिजीवियों ने प्रतिक्रिया भी दी |
उस कविता के कुछ दिन बाद मैंने दैनिक जागरण में एक न्यूज़ पढ़ी – मथुरा में एक बुजुर्ग महिला ने,अपने परिवार के तीन सोते हुए युवकों पर तेज़ाब डाल दिया,तीनों युवक बुरी तरह से जख्मी,संपत्ति को लेकर कुछ विवाद के सम्बन्ध में उस महिला ने ऐसा कदम उठाया |
हमारा सिस्टम ही अपराधी तैयार करता है,ऐसा मुझे और आप सब लोगों को भी कई बार अनुभव होता होगा,कुछ लोग विनय की भाषा को इंसान की कमजोरी समझ लेते हैं और यदि विनम्र व्यक्ति आक्रोशित हुआ तो विनाश लीला दिखाता है और यदि सामने कुछ न भी कह पाया या कर पाया,तो दस जगह तुम्हारे कारनामों की कड़वी व्याख्या करेगा |
प्रत्येक कहानी सत्य और अनेक कहानी के अनुसार,कई अन्य घटनाएँ घटती हैं,भले ही पात्र काल्पनिक हों,पर कहानी में वर्णित हर घटना अक्सर सत्य ही होती है |तो यह कहानी है या सत्य घटना इसका निर्धारण रीडर्स ही करें तो ही अधिक श्रेयस्कर होगा –
एक स्त्री शादी के कुछ वर्ष बाद विधवा हो गयी,उसके एक २ वर्षीय बेटी भी थी,घर में उसके ज्येष्ठ (पति के बड़े भाई),जिन्होंने उसके प्रति सहानुभूति दिखाते हुए सम्मान के साथ अपने घर में ही रखा,सारी खेती खुद ही करते,अपनी अनुजवधू को भी जीवन यापन के लिए कुछ देते रहते | समय आगे बढ़ा-अनुज बधू ने सोचा मेरे साथ अन्याय हो रहा है,मुझे अधिक हिस्सा मिलना चाहिए,आखिरकार मेरे आगे भी एक बेटी है | उसने समाज के कुछ व्यक्तियों को एकत्रित कर के अपने हिस्से का घर और खेत ले लिया,और खेत किसी दूसरे को करने के लिए दे देती,जो उसे ईमानदारी से फसल,पैसे वगैरह दे देता | उस स्त्री ने अपनी बेटी को पढ़ा लिखा कर,खेती से धन इकठ्ठा कर के योग्य वर खोजकर उसकी शादी कर दी | ज्येष्ठ के चार पुत्र,उनके मरणोपरांत उन लड़कों ने अपनी चाची को प्रताड़ित करना चालू किया,अपने चाचा की जमीन और घर पर एकाधिकार करने के लिए | रात्रि में उसके आँगन में कूदकर उसे जान से मारने की धमकी देने लगे,यदि उसने जमीन उनके नाम न की तो | वह संभ्रांत,सुशील,नेक महिला अर्धविक्षिप्प्त हो गयी,रात्रि में वह डर कर घर के बाहर बैठने लगी,दिन में नग्न होकर गांव की गलियों में घूमने लगी | गांव के कुछ हमदर्दों ने महिला की बेटी के पास पत्र वगैरह लिखकर उसे बुलाया | दामाद आकर अपनी सास को ले गया,इलाज करवाया,पर उस महिला ने अपने हिस्से की हर चीज गांव के दूसरे सदस्य को बेंच दी |
और कुछ समय बाद प्रताड़ित करने वाले के घर में भी आत्महत्याएं और अकाल मृत्यु होने लगीं |
जब इतनी वीभत्स परिस्थिति हो,तब तेज़ाब ही एकमात्र सुगम उपाय हो सकता है,कानून को निर्णय करने में बहुत देर हो जाती है,तब तक तो अनेक जिंदगी नरक बन चुकी होती हैं | अतः काल भी नारी के वीर रूप का दर्शन करना चाहता है,ऐसा मेरा विचार है |

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