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नारी है क्या ,यह एक नारी भी नहीं समझ सकती,नारी उत्थान है तो पतन भी,नारी विकास है ,तो विनाश भी,नारी कोमल है तो कठोर भी.अनेकानेक उपन्यास ,लेख ,स्त्रोत नारी के ऊपर लिखे गए,रामायण और महाभारत की उद्गम है यह नारी.राम के वनवास का कारण है यह नारी.
कलियुग में बहुत प्रधान है नारी.प्रत्येक जीव का जीवन है नारी.यह सृष्टि की संरक्षक और पालक है.यह स्वर्ग और श्मशान दोनों साथ लेकर चलती है.इसकी कृपा और क्रोध,दोनों ही बोधकारी है.
एक अनाथ बालक,जो अपने शैशव काल से ही मातृ सत्ता से विलग हो गया हो,जिसने ,किसी गुरु के आश्रम में रहकर विद्याध्ययन किया हो.किशोरावस्था में जिसे जीवन संगिनी मिली हो.कितना प्रेम होगा उसके हृदय में एक नारी के लिए.गोचारण कर के जैसे ही घर में आया,अपनी पत्नी को न पाकर सीधा ससुराल की ओर चल पड़ा,भूखा प्यासा किसी तरह पहुंचा,तो पत्नी शर्म से नतमस्तक होकर बोली( आप समझ सकते हैं,जिस काल खंड की यह बात है ,उस समय यह सब कितना अचम्भा लगता होगा;जब लोग अपने माता -पिता,बड़ों के सामने पत्नी से बात भी नहीं करते थे).-
लाज न लागत आप को ,जो दौरे आये साथ.
धिक्- धिक् ऐसे प्रेम को, क्या कहूँ अब नाथ.
अस्थि चर्ममय देह मम ,तामे ऐसी प्रीति,
जो करते श्री राम में,न होती भव भीति.
मुझे तो लगता है -रत्नावली के ऊपर १०० शारदा एक साथ बैठ गयी होंगी.
आप विचार कीजिये -कहीं आजकल की लड़की होती तो क्या कहती –
wow!wonderful! u r so great.u love me so much. i love u too ,my loving darling.ohh! it was raining so heavily,but u came just behind me. now stay here in my home at least 15 days,then we will go back.forget about cows now.lets enjoy honeymoon.what u will like to have! whiskey,rum,beer or only simple tea.u r feeling cold naa.
ऐसे ही एक महान भारतीय कवियत्री ने लिखा,अपने पति के लिए -(शायद तब आज़ादी का काल खंड था)
मेरे हँसते अधर नहीं ,जग की आंसू लड़ियाँ देखो,
मेरे गीले पलक छुओ मत,मुरझाई कलियाँ देखो.
अब ऐसे गीत कहाँ,कहाँ ऐसी जवानी, जो ललकार सके सोते यौवन को,जगा सके वैराग्य.
अतः नारी सद्गुरु ही है,केवल तीसरे नेत्र से निहारने की आवश्यकता है.
“जय हिन्द,जय भारत”.
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