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आज दैनिक जागरण में मैंने एक दुखद समाचार पढ़ा,” पिकनिक बनी काल,तीन परिवार के लोग पानी में बहे |” हम जिंदगी को बहुत हलके में ले लेते हैं,कभी -कभी | मानव मष्तिष्क नया करने के लिए,जीवन की चिंता नहीं करता | ऐसा ही एक वाकया,मेरे साथ भी होते -होते बचा,मैं भोपाल में पढ़ रहा था,एक रविबार के दिन हमारे कुछ बैचमेट ने भोपाल के NEW मार्केट के पास की झील जाने की सोची,सब रूममेट जा रहे थे ,मैं भी गया | झील में जल -क्रीड़ा के समय,मैं किनारे पर ही था,पर जल के अंदर किधर कितनी गहराई है समझ में नहीं आती न | मैंने जैसे ही दूसरी तरफ पैर बढ़ाया,झील की गहराई अधिक थी | १-२ गोते लगे,तब तक मेरे मित्र रवि पाटिल ने मुझे पकड़ लिया | वैसे जिस इंसान की मृत्यु जैसे होनी है,वह पूर्व निर्धारित है, पर सावधान होकर जीना हमारा कर्तव्य है |
ऐसी बहुत सी घटनाएँ हमारे आसपास होती रहती,कुछ तो जिंदगी के साथ ऐसे खेलते जैसे हर पल मरने के लिए ही इच्छुक हैं | बाइक और लोकल ट्रैन पर स्टंट करने वाले किशोर इत्यादि |
एक दिन जब मैं लोकल ट्रैन से अपने गंतव्य की ओर अग्रसर था,गेट पर एक युवक जिसके पीछे एक दूसरा युवक शराब के नशे में खड़ा था | शराबी युवक ने कहा,तुम पीछे आ जाओ,मुझे गर्मी लग रही | शराबी महोदय आगे आये,और अपना सर आगे हवा में निकाल दिया,कुछ ही पल में ट्रैक के किनारे के पोल से जाकर टकरा गए और नीचे गिरे | मौत तो हो ही गयी होगी,इतनी फ़ास्ट ट्रैन से गिरकर | पीछे खड़ा हुआ युवक कुछ समय के लिए बेहोश हो गया,यह सब देखकर | दूसरे सहयात्रियों ने उसे उठाकर सीट पर बिठाया,पानी वगैरह दिया,तब उसे कुछ शांति महसूस हुयी | अतः जिंदगी को कभी हलके में मत लो यार,कुछ गंभीर होना भी जरूरी होता है,जीवन के पथ पर |
ऐसी अनेकों घटनाएँ अपने आसपास होती रहती हैं,जब हमें लगता है,थोड़ी सी गलती से बड़ी दुर्घटना हो गयी | यदि संसार में कुछ भी पिकनिक और आश्चर्य जैसा है,तो यह मानव जीवन,इसे जानना और समझना बहुत जरूरी है |
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