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बाबा जी के दृष्टान्त——–प्रथम

SUBODHA
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मैं अपने पिछले ३१ वर्ष के जीवन काल में लगभग १५ वर्ष बाबा जी के पास रहा.उस अवधि में उन्होंने मुझे बहुत किस्से ,कहानियां ,उदाहरण ,श्लोक आदि सुनाये.मैं चाहता हूँ ,उनसे सुनी-सुनायी बातों को आप तक पहुँचाऊँ. हो सकता हैं इनमे से कुछ आप ने पहले से ही सुनी हों ,पढ़ी हों या फिर आप ने ही लिखी हों ,तो क्षमा चाहूँगा.
उन्होंने मुझे किसी सरदार जी या संता -बंता के ऊपर नहीं ,अपितु पंडित जी के ऊपर ही सुनाया.
श्री गणेश करते हैं-प्रथम दृष्टान्त से ………………..
एक थे पंडित जी.सीधे -सादे . ईश्वर के प्रति समर्पित .संतोषी ब्राह्मण.आराम से अपनी पत्नी के साथ गृहस्थ धर्म का पालन करते.उनके कोई संतान नहीं थी.एक दिन पंडिताइन को किसी ने टोटका बताया,संतान पाने का.
पंडिताइन ने ,न कुछ सोचा ,न समझा,और न ही पंडित जी से पूँछा -बताया ,और बिना कुछ विचार किये अपने साहस की पराकाष्ठा दिखा दी.समय बीता, पंडित जी को पुत्र हुआ.
पुत्र होने पर पंडिताइन ने अपना टोटके वाला कारनामा पंडित जी से वर्णित किया. पंडित जी ने जैसे ही सुना किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए.पागलों की तरह रात -दिन चिल्लाते -“प्रभु तेरे यहाँ अंधेर है ,अंधेर”. गॉव वाले कहते बच्चे पैदा होने की खुशी वर्दाश्त नहीं कर पाये पंडित जी ,इसी चक्कर में पागल हो गए. थोड़े दिन बाद पंडित जी गॉव छोड़कर चले गए.गंगा के किनारे बैठे रहते और दिनभर यही चिल्लाते -प्रभु अंधेर ,महा अंधेर ,अंधेर है अंधेर तेरे यहाँ.
कुछ वर्ष बीते,लड़का बड़ा हुआ ,कमाने लगा, पंडिताइन ने अपने लड़के का विवाह वगैरह किया.विवाह के कुछ वर्ष बाद घर में आग लग गयी.पूरा धन -सम्पदा,घर जलकर खाक हो गया.लड़के -बहू की भी अकस्मात मौत हो गयी.यह सब अपनी आँखों से देखकर पंडिताइन भी चल बसी.
एक दिन कोई गॉव वाला पंडित जी को मिल गया,उनसे बोला तुम्हारा पूरा कुल मिट गया. घर में कोई नहीं बचा.
पंडित जी एकदम खुशी से झूम उठे,बहुत तेज चिल्लाकर ,दोनों बाहें ऊपर उठाकर,गंगातट पर पूर्वाभिमुख होकर बोल पड़े- “प्रभु तेरे दरबार में देर है ,लेकिन अंधेर नहीं”.
अपने गॉव वाले से कहा -मुझे भी गॉव ले चलो.गॉव आकर पंडित जी ने अपनी पत्नी का टोटके वाला कारनामा गॉव वालों को बताया. कहा भैय्या,मेरी अभागी पत्नी ने पड़ोस के एक छोटे बच्चे को चुपके से मारकर अपने घर में ही दफना दिया था. उस समय वह बात किसी को पता नहीं चल पाई.मुझे माफ़ करना.मैं ही तुम लोगो का अपराधी हूँ.उसी रात पंडित जी ने भी शरीर छोड़ दिया.

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