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महर्षि बाल्मीकि ने अपने रामायण काव्य के प्रारंभिक श्लोक में एक पंक्ति लिखी – || रामात परतरं नास्ति किंचित || राम से परे कुछ भी नहीं हैं ,इस देश की मिट्टी में इतनी ताकत है ,जिसने एक बार यहाँ का अन्य खाया ,वह राम का हो गया ,विद्वेष करने वाला भी जाने -अनजाने में कई बार राम नाम ले लेता है ,कहते हैं जब विधर्मियों का अधिक आतंक होने लगा ,इस देश के धार्मिक स्थलों पर,तब मंदिरों में बंदरों की संख्या बहुत बड़ी ,और वह बंदर विधर्मियों को मारने लगे,टोपी लेकर भागने लगे ,अभीभी देश के कुछ मंदिरों में बहुत बंदर पाये जाते हैं ,अतः मुझे हिन्दू धर्म की कोई चिंता नहीं ,हनुमान जी महाराज अनवरत,अनगिनत रूप से अनंत शरीर धारण कर राम नाम ले रहे हैं | नीचे प्रस्तुत है,NBT में छपी एक खबर का लिंक -http://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttar-pradesh/varanasi/allahabad/ram-naam-draws-muslim-followers-to-magh-mela/articleshow/50527794.cms
|| जय श्री राम ||
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