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दीपावली,ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान का तिमिर नाश करने का त्यौहार है ,देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले सगे -सम्बन्धियों का पर्व के अवसर पर मिलने -मिलाने का त्यौहार है ,पर आजकल जो दिवाली के अवसर पर पटाखों के कारण बहुत अधिक विनाश हो रहा है ,उसकी मूल वजह हम ही हैं | शायद त्रेता में तो पटाखे होते भी नहीं होंगे ,अगर होते तो राम जी धनुष वाण क्यों लेकर जाते रावण के अंत के लिए,बम लेकर ही जाते | अभी इस दिवाली पर कुछ नेताओं और सामाजिक संस्थाओं ने पटाखे न फोड़ने का निवेदन भी किया था ,पर नेताओं के निवेदन से देश नहीं चलता ,देश नागरिकों की सोच से चलता है और इस सन्दर्भ में हमारे बुद्दिजीवी भी मौन हैं और संत -महंत भी |
दीवाली से पूर्व इस देश में राम लीला का आयोजन होता है और पटाखों की शुरूआत वही से होती है -रावण दहन और उसमे अनेक पटाखे |
राष्ट्र के शुभ चिंतकों को चाहिए ,पहले तो रावण दहन बंद किया जाये और बाद में पटाखे |
आजकल ऐसे -ऐसे नए पटाखे इज़ाद किये गए जो आसमान में जाकर फूटते हैं,परिणाम projectile motion करते हुए ,वह पटाखा किसी बहुमंजिला इमारत के एक फ्लैट में घुस गया और सब कुछ राख में बदल दिया ,ऐसी अनेक घटनाएँ आप विगत कुछ दिन के समाचार से जान सकते हैं ,पटाखा बाजार में आग ,घरों में आग ,पटाखे से किसी इंसान की व्यक्तिगत दुर्घटना आदि सब आम बात हो गई ,इस त्यौहार पर | यह त्यौहार कम,विनाश काल अधिक लगने लगा | छोटे बच्चों के मनोरंजन के लिए ,कम आवाज करने वाले १-२ पैकेट पटाखे खर्च करना समझा जा सकता है पर आज का युवा जो हज़ारों रुपये पटाखों पर खर्च कर रहा,इसे मानसिक दिवालियापन ही कहा जाएगा |
अंत में होगा वही जो प्रभु इच्छा ,जिसे पटाखे फोड़ना है उसे ऐसी बातें वकवास लगती हैं |
|| जय श्री राम ||
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