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“व्हिसिलब्लोवर”

SUBODHA
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शीर्षक का हिन्दी अर्थ है ,सीटी बजाने वाला या सीटी मारने वाला.सीटी भी अलग -अलग प्रकार की होती है ,जैसे चौराहे पर खड़े हुए यातायात नियंत्रक,पान टपरी के पास खड़े हुए चार आवारा लफंगे,या रात्रि में किसी सोसाइटी में कार्यरत कोई चौकीदार आदि -आदि.हर अलग इंसान के द्वारा बजाई गयी सीटी का अलग महत्त्व और अर्थ है.
अपने देश में आर.टी.आई. एक्ट अनेकों प्रयास के बाद लाया गया.बहुत से काबिल लोगों का उसमे अविस्मरणीय योगदान है.जब यह एक्ट नहीं था,तब भी ऐसे व्हिसिलब्लोवर थे,जिन्होंने अपने आसपास हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए अपनी आवाज़ को बुलंद कर दिया.
भले ही भ्रष्टाचारियों ने उनकी आवाज़ को दबाने के लिए,उनके प्राण ही ले लियें हो.पर उनमे अदम्य साहस था.
आर.टी. आई .एक्ट आने के बाद ऐसे लोगों की संख्या बढ़ गयी,जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाना अपना नैतिक और सामाजिक उत्तरदायित्त्व समझा. पर यह भ्रष्टाचार रूपी दसानन न जाने कितनों के प्राण लेने के लिए दिनोदिन आतुर हो रहा है.नया कानून,नयी समस्या.
आम जनता क्यों सूचना एकत्रित करती घूमे,क्यों वह जान हथेली पर रखकर,अपनी हर एक सांस ले. शासन और प्रशासन हमें बताये,वह क्या कर रहे हैं, मीडिया जो लोकतंत्र का चतुर्थ स्तम्भ है,वह क्यों नहीं जग जाहिर करता,कितना पैसा ,कहाँ आवंटित किया गया,किस कार्य के लिए?वह कार्य समय से निष्पादित हुआ या नहीं.एक ही खबर को १०० बार दिखाकर क्यों जनता के मनो -मस्तिष्क को चाट रहे हो? क्यों सत्येन्द्र दुबे,सोनावणे जैसे लोग बलि का बकरा बनते और कब तक बनते रहेंगे?
लगभग प्रत्येक राज्य में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं,आये दिन कोई सीधा -सादा इंसान मार दिया जाता है.
भ्रष्टाचार में तो मंत्री से संतरी तक, ग्राम प्रधान से प्रधानमंत्री तक, सब लिप्त है.एक प्रधान के कार्यक्षेत्र में ३ से ७ गांव तक आते हैं.एक ग्रामवासी ने अपने प्रधान से कहा,हमारे गांव में खडंज़े की एक ईंट तक नहीं लगी,अभी तक के आप के कार्यकाल में. जन-गण-मन अधिनायक ग्राम प्रधान ने उत्तर दिया,” अभी तक हमसे किसी ने कहा ही नहीं,अब आप ने कहा है.सोचेंगे इसके ऊपर”. ऐसे मूर्ख लोगों से क्या विकास होगा ,क्या तस्वीर बदलेगी और देश क्या सुधारेंगे.
इस नयी सरकार से बहुत उम्मीद हैं,कुछ प्रयास भी जारी हैं.देखना यह है -लोकतंत्र और यह सरकार कितनी सफल होती है.
जय हिन्द,जय भारत.

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