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“सुस्वागतम गणेश”

SUBODHA
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भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से अनंत चतुर्दसी तक देश में,विशेषतः महाराष्ट्र में गणेश उत्सव मनाया जाता है,गणेश चौथ के एक -दो दिन पूर्व से ही आम जन मानस और बड़े -बड़े मंडल ढोल-नगाड़े और गाजे -बाजे के साथ भगवान विघ्नराज,सिद्धिविनायक,लम्बोदर,गौरीनंदन की सुशोभित मूर्ती अपने -अपने घरों में और मंडप में लेकर आते हैं,किसी -किसी मंडल का संगीत बहुत ही दिव्य होता है,जैसे कालीना के शिवाजी मंडल का. उनके म्यूजिक से समाज और वातावरण में एक दिव्यता आती है,उसे देखकर और सुनकर मुझे -“लाइट ऑफ़ एसिआ” में वर्णित शुद्धोधन के स्वप्न की व्याख्या याद आती है-जिसमे उन्होंने देखा था -उनका बेटा एक ऊंचे पर्वत पर बैठकर ढोल का भयंकर नाद कर रहा है और एक ऋषि ने जिसकी व्याख्या की थी -तुम्हारा पुत्र एक नए युग का सूत्रपात करेगा,राजन |
आज के समय में धर्म का स्वरुप भी बदल रहा है,कुछ ही इंसान सत्य का अनुभव करने के लिए ईश्वर की शरण में जाते हैं,और अधिकतर धर्म के नाम पर पैसे इकठ्ठे कर के,कुछ पैसे मूर्ती और सजावट में,शेष धन शराब और शबाब में,धर्म का ऐसा पक्ष समाज के लिए बहुत दुखद है,जिससे कुछ व्यक्ति धर्म से दूर ही रहना चाहते हैं,यह भी समाज के लिए हितकर नहीं |
देश के प्रत्येक राज्य और राज्य के प्रत्येक जनपद में भिन्न -भिन्न उत्सव और पर्व का आयोजन होता है ,शायद इसका भी बहुत गूढ़ार्थ है-जन्माअष्टमी को मथुरा और उसके आसपास की प्रक्रति में दिव्यता आ जाती है ,तो रामनवमी को अवध क्षेत्र में,गणेश चतुर्थी को महाराष्ट्र में,दुर्गा पूजा के पर्व पर बंगाल में,ओणम के पर्व पर केरल में आदि -आदि | यदि जन्माष्टमी को काले घने बादल रात्रि में एक धीमी फुहार न बरसायें तो आम जनता इसे शुभ नहीं मानती और शायद ईश्वर भी अपने जन्मदिवस के उपलक्ष्य में,जीव जगत पर विशेष कृपा करता होगा,पर ईश्वर की ओर उन्मुख होने की एक कोशिश तो प्रत्येक जीवधारी को करनी ही होगी |

O DEAR CHILD OF SHIV & SHIVA ,ELEPHANT HEAD LORD !SHOW YOUR JALWAA,JALWAA,JALWAA………………………………………………………….!

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