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समाचार पत्रों में ऐसी भी अनेक ख़बरें आती हैं,जिन्हे पढ़कर हंसी आती है ,जैसे – मंत्री जी की भैंष चोरी,I.G.,D.I.G. परेशान;मंत्री के पेड़ से कटहल टूट गया,पूरे राज्य की पुलिस चौकन्नी.
पूरा -पूरा आदमी अपहरण हो जाता है ,तो नींद नहीं खुलती पुलिस वालों की.मंत्री जी के जूतों की भी निगरानी के लिए एक बटालियन चाहिए.पता नहीं इस देश की पुलिस में आजकल कोई “मंगल पाण्डेय” क्यों नहीं,शायद भारत माता भी यही चाहती होगी,मेरा एक ही मंगल अच्छा है ,अब दूसरा कोई न हो. नहीं तो उस मंगल का महत्त्व कम हो जायेगा.
अरे भैंष या कटहल चोरी हो गया तो क्या आफत बरस पडी,सांसद निधि से अनेकों नयी भैंष और कटहल आ जाते और पहले भी जब भैंष खरीदी होगी या कटहल का पेड़ अपने बंगले में लगाया होगा,तो जनता के ही पैसे लगे होंगे.कौन सी तुमने अपनी खून -पसीने की कमाई से यह सब तैयार किया होगा.पर नहीं, हर जीव के प्रति इंसान का अपना लगाव,हर एक की अपनी पसंद -नापसंद है. मंत्री जी को उस भैंष से न जाने कितना प्यार मिला होगा, अपने मालिक को दूर से देखकर ही रंभाने लगती होगी, तभी तो मंत्री जी ने भी उस पर अपना तन -मन न्योछावर कर दिया.ऐसे ही कटहल की बात,जैसे एक किसान अपने हर पौधे से प्यार करता,वैसे ही मंत्री जी कटहल से करते,आखिरकार उनकी जड़े भी तो,किसी न किसी गांव और किसान से ही जुडी हुयी हैं.इसे कहते हैं सच्चा प्यार.बस भैंष चाहिए तो वही चाहिए, घर में चूल्हा तभी जलेगा ,जब वही कटहल मिलेगा.
मंत्री,भैंष ,कटहल,पुलिस और अंत में बेचारी जनता,सभी को मेरा कोटिशः नमन.
“मेरा देश महान”
जय हिन्द ,जय भारत.
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