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जब व्यस्त जीवन से कुछ पल निकालकर एक इंसान देश के हाल जानने के लिए टीवी ऑन करे,तो सुनने को मिलता है-जम्मू में एक ८ माह की गर्भवती महिला को,डॉक्टर ने गलती से एबॉर्शन का इंजेक्शन दे दिया अथवा एक ३ वर्षीय बच्चे को उसके घर में आने वाली tutor ने लातों से मारा,बच्चा इतना भयभीत हो गया ,किसी को भी देखकर डरता है |
कभी -कभी मुझे लगता है ,हम पाषाणकालीन मानव से भी बदतर जिंदगी जी रहे हैं और हम महान बनने का लबादा ओढ़े हुए यत्र ,तत्र ,सर्वत्र मूर्खवत् विचरण कर रहे हैं | तुलसी की एक चौपाई की अर्धाली है ,” बाँझ कि जान प्रसव की पीरा”- बाँझ स्त्री को प्रसव वेदना का क्या ज्ञान | अस्पताल में कार्यरत SO CALLED डॉक्टर्स को यह नहीं मालूम ,वह क्या करने जा रहे हैं,जब कि एक मरीज को हैंडल करने में २-४ पढ़े -लिखे असिस्टेंट भी अस्पताल में जिम्मेदार रहते हैं,पर उन्हें भी क्या जानना -समझना ,न मरीज से पूछना -बताना | बस,इंजेक्शन लगा दो,तुम्हारा काम खत्म | सभ्यता के चरमोत्कर्ष को दिखाते हुए,मौन बनकर ऐठे और बैठे रहो | तुम्हे ,मरीज़ से फीस मांगने में भी एक बड़ी शर्म लगती है,क्यों कि तुम तो मुंशी प्रेमचंद के चड्डा साहब से किसी मायने में कम नहीं हो | यह पैसे बसूलने का महान कार्य करने के लिए तुमने एक पी.ए. रखी हुयी है,जो यह एक ही काम बखूबी जानती है,खैर जाने दो,अब अधिक क्या कहूँ आप की प्रसंशा में,भारत में तो तुम्हे भगवान का दर्जा आलरेडी मिला हुआ है | भक्त से पैसे बसूलो,भोग लगाओ और अपने मंदिर में मूर्ती बनकर बैठे रहो |
अब शिक्षकों से अनुरोध है,किसी भी बच्चे पर हाथ मत उठाओ | शिक्षा के क्षेत्र में एक नया कांसेप्ट है -LEARN BY FUN – बच्चे खेल -खेल में ही सब सीख लेंगे,उन्हें कम से कम ५ वर्ष तक आज़ाद रहने दो,सारी Ph .D . एक ही दिन मत करवा दो ,यही बात अभिवावकों पर भी लागू होती है, ऐसे खेल के उपकरण ले आओ,जिससे उन्हें अक्षर ज्ञान हो,जैसे -ऐसे फुटबॉल,जिस पर अल्फाबेट लिखी हुयी हो आदि |
मैंने अपने जीवन को कभी प्रतियोगिता के रूप में नहीं जिया,इससे आगे निकलना है,मैं इससे पीछे हूँ ,वगैरह -वगैरह |और न ही कभी मेरे घर वालों ने किसी से आगे निकलने को कहा |
जब हर इंसान थोड़ा सोच -समझकर जिए ,तो यह दुनिया अच्छी लगने लगेगी |
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