Jeevan
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जागते रहो…..जागते रहो…..लोकतंत्र ख़तरे में हैं !

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लोकतंत्रीय प्रणाली द्वारा चुनें गयें राजनेता संविधान की शपथ लेकर जन सेवक के रूप में पद पर आसीन होते हैं ! इसे अपना राजतिलक समझ लेने वालें कुछ राजनेताओं का राजतंत्र जब ख़तरे में आता हैं ! तब वह “लोकतंत्र ख़तरे में हैं” कह कर लोगों को भ्रमित करनें में लगे रहतें हैं ! 70 साल में इस डर के रहस्य से अब पर्दा उठ गया है ! जनता अब इसे धीरे – धीरे समझनें लगी है !

जब दियें की लौ जब बुझनें को आतीं है तब उसमें ज्यादा प्रकाश, ज्यादा हलचल देखनें को मिलता है ! इसका उदाहरण आज के संदर्भ में आप ज्यादा प्रवाभी ढंग से अवगत हैं जैसे असहिष्णु, अवार्ड वापसी, और तो और राजतंत्र में विश्वास रखने वाले लोग सर्वोच्च न्यालय (Supreme Court) पर भी कटाछ करने से नहीं चूकतें हैं !

दुर्भाग्य से भारत सदियों से राजभोग, सत्ता सुख के लिए षड्यंत्र का शिकार होता आया है ! स्वयं भगवान श्री राम को भी वनवास जाना पड़ा था ! सत्ता के लिए अपने ज़मीर को बेचने वाले कुछ जयचंद भारत के लिए एक दीमक की तरह है !

आगामी लोक सभा के चुनाव तक देश एक निर्णायक दौर से गुज़र रहा है ! जनमानस की मनोस्थिति को बदलनें या प्रभावी ढंग से अपनी छाप छोड़ने के लिए राजतंत्र में यक़ीन रखनें वाले राजनेता अपनी राजनितिक रसूख बनायें रखनें के लिए जनता को ही हथियार बनायेंगी, यहाँ जनता को संयम, धैर्य, और सावधान रहने की जरुरत है ! भारत का स्वर्णिम काल जिसमें भारत “सोने की चिड़ियाँ ” कहलाता था ! विश्वगुरु पथ पर अग्रसर भारत के नेतृत्व का लोहा फिर से एक बार पूरा विश्व मानेगा !

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