Jeevan
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वह जन्म कब और किसलिए होता है?

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धरती पर जन्म और मृत्यु, प्रवेश और यहाँ से प्रस्थान मनुष्य के नियंत्रण में नहीं है ! और इस धरती पर अपना वर्चस्व को कायम रखने के लिए धर्म, समूह, सम्प्रदायें, रंग जाती के आधार पर इस धरातल को टुकड़ों में बाँट दी जाती है ! मनुष्य के लिए यह पूरी सृष्टि ईश्वर द्वारा उसे समर्पित है ! पर धरती पर संसाधनों की उपलब्धता, उसके भौगोलिक प्रस्थितीयो पर निर्भर करता है !

दुर्भाग्य से संसाधनों की सुलभता मनुष्य के विभाजनकारी नीतियों के कारन सिकुड़ जाती है ! इसके उपरांत प्राकृतिक संसाधनों पर अपना स्वामित्व, आधीनता उस पर अधिपत्य के अंतर्गत समस्त मानवता मनुष्य के महत्वकांछाओं पर निर्भर हो जाता है ! जल, मिट्टी, वायु, अग्नि से निर्मित यह शरीर, इस वास्तविकता को मनुष्य आज जैसे भूल चूका है !

आंसू की कीमत को इंसान अब तक नहीं समझ पाया है ! आंसू संसाधनों का मोहताज नहीं, महत्वकांछाओं के पैरों तलें कुचला गया आंसू  केवल आंसू नहीं इंसान होने का वजूद है ! इंसान के आँखों से आंसू धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है ! समुद्र की गहरायी से भी ज्यादा गहरा आंसुओं का अंबार जिस दिन पूरी तरह से सुख जायेगा ! इंसान की आँखें पत्थरा जाएगी ! उस दिन अधर्म का अभ्युत्थान चरम पर होगा ! नर संहार से यह पृथ्वी लाल हो जाएगी ! जिसका सांकेतिक लक्षण आज के परिदृश्य में विश्व तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ा है !

मानव कल्याण, विश्वशांति के लिए इस प्रश्न में ही सवाल का जवाब है ! “वह जन्म कब और किसलिए होता है” !

वह जन्म, वह अवतरीत अवतार, माया से अपने स्वरुप को रचना, भारत की पावन और पवित्र भूमि इसका गवाह है, वह जन्म जिसे इतिहास में भारत को विश्वगुरु बनाया था ! वह जन्म फिर से भारत को विश्वगुरु बनाएगा ! वर्तमान भारत में जिसने  माया के प्रभाव से अपने को बचा लिया, वह जन्म का साक्षात् दर्शन निश्चित है !

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