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‘श्वेत पत्र’ 2019 आम चुनाव

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महाभारत काल में करुक्षेत्र की वह रणभूमि आज़ादी के बाद पहली बार 2019 में फिर से तैयार है ! जहां षड्यंत्र, छल, साहस, युद्ध सब देखने को मिलेगा ! यहाँ तो पुरे 70 साल का राजनितिक रसूख खतरें में हैं और उनका राजनितिक स्तर पहले से ज्यादा गिर चूका है, आज़ाद भारत में राजनेता अपनी राजनितिक रसूख, सत्ता में बने रहने के लिए जाती, सम्प्रदायें, धर्म में बाँट कर ” फूट डालो राज करो ” यह निति रहीं हैं ! आज जनता के समक्ष आगामी चुनाव में यह सवाल रहने वाला है की परम्परागत इस निति को कैसे हराना है ? जिसमे आने वाली नयी पीढ़ी का भविष्य, सामाजिक सौहार्द, मानवता, पृथ्वी, प्रकृति, सृष्टि, उसके अस्तित्व,वजूद आज के निर्णय एवं संकल्प में सुरक्षित है !

लोकतंत्रीय प्रणाली द्वारा चुनें गयें राजनेता संविधान की शपथ लेकर जन सेवक के रूप में पद पर आसीन होते हैं ! इसे अपना राजतिलक समझ लेने वालें कुछ राजनेताओं का राजतंत्र जब ख़तरे में आता हैं ! तब वह “लोकतंत्र ख़तरे में हैं” कह कर लोगों को भ्रमित करनें में लगे रहतें हैं ! 70 साल में इस डर के रहस्य से अब पर्दा उठ गया है ! जनता अब इसे धीरे – धीरे समझनें लगी है !

आजादी के वक़्त धार्मिक अस्मिता को संरक्षित रखने के लिए भारत माँ के दो हिस्से कर दिया जाता है, आज भी हिन्दुस्तान के लिए यह विडम्बना है धर्मनिरपेक्षता के आर में हिंदुओं के अस्मिता को निशाना बनाया जा रहा है ! वन्दे मातरम् , भारत माता की जय , हिन्दुस्तान जिंदाबाद, जय हिन्द यह देश प्रेम की भाषा है इस जज़्बा को भी धर्म से जोड़ कर देखना, भारत की सम्प्रभुता के लिए केवल खतरा ही नहीं, यह भारत को 1947 के तर्ज पर बंटवारे की निति को दोहराने के साजिश है ! असहिष्णु, अवार्ड वापसी, और तो और राजतंत्र में विश्वास रखने वाले लोग सर्वोच्च न्यालय (Supreme Court) पर भी कटाछ करने से नहीं चूकतें हैं !

आगामी लोक सभा चुनाव का परिणाम विपक्ष और सत्तारूढ़ के शिर्षम नेता श्री राहुल गाँधी और श्री नरेंद्र मोदी, एक जिनके नेतृत्व में पिछले लगातार चुनाव में हार मिलती है, फिर भी वें निर्विवाद कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष बनतें हैं ! ऐसे में आगामी लोक सभा के चुनाव में हार-जीत उन्हें ज्यादा प्रवाभित नहीं करने वाला हैं ! गरिमा, पद योग्यता में इजाफ़ा यह गाँधी ( Surname ) की नियति रही हैं और सदा रहेगी ! दूसरा समकालीन संघर्ष में चाय बेच कर, हमेशा विवादों से लड़ कर जनता के प्यार, आशीर्वाद और समर्थन से आज सर्वोच्च संवैधानिक पद पर नियुक्त हैं ! अतः सांकेतिक दृष्टिकोण में यह परिणाम निःसंदेह जनता से ज़ुरा हुआ हैं !

नोटेबंदी एक उदहारण प्रस्तुत करता है, की दल से बड़ा देश है ! Emergency (आपात-काल) और demonetisation (नोटेबंदी) भारत सरकार द्वारा आज़ाद भारत में लिया गया दो बड़े फैसले देश के हर नागरिक को तत्काल प्रवाभित किया, लोकतंत्र में मालिक इस देश की जनता तुलनात्मक दृष्टिकोण में व्यक्तिगत अनुभव से इसका आकलन जरूर करेगा ! 125 करोड़ भारतीय का आत्ममंथन सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश के सुनहरें सपने को फिर से साकार बनाएगा !

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया विचारधारा के नाम पर हिंदू आतंकवाद शब्द का नाम देना भारत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण हैं ! विचारधारा (Ideology) को स्वीकारना या विरोध करना अभिव्यक्ति की आज़ादी हैं पर राज्य के सर्वोच्च पद पर नियुक्त व्यक्ति द्वारा हिंदुओं के धार्मिक भावनाओं को आहात पहुँचाना उचित नहीं ठहराया जा सकता है ! आगामी लोक सभा के चुनाव तक देश एक निर्णायक दौर से गुज़र रहा है ! जनमानस की मनोस्थिति को बदलनें या प्रभावी ढंग से अपनी छाप छोड़ने के लिए राजतंत्र में यक़ीन रखनें वाले राजनेता अपनी राजनितिक रसूख बनायें रखनें के लिए जनता को ही हथियार बनायेंगी !

यह कहावत पुरानी हो चुकी है, की इस देश का कुछ नहीं हो सकता, यहाँ कुछ नहीं बदलने वाला है ! तय हमें करना है अर्जुन ने धैर्य, एकाग्रता से केवल प्रतिबिम्ब में देख मछली की आँख को भेद अपने कौशल का परिचय दिया था ! आज अर्जुन भी हम है मछली की आँख तत्कालीन समय में वर्तमान राजनितिक घटनाकर्म में साफ-साफ दिखाई दें रहीं हैं ! संयम, धैर्य, कुशलता का परिचय जनता को देना हैं !

इतिहास ऐसे ही नहीं बनता आगामी आम चुनाव के नतीजे तक आपको बहुत से अग्निपरीक्षा से गुजरना है ! विश्व पटल पर भारत अग्रिम पंक्ति में खड़ा होने के लिए अग्रसर है ! पर सत्ता सुख, राजनितिक हित के लिए इसे बाधित करना ही एक मात्र विकल्प है ! पर हमें यह नहीं भूलना चाहियें गीता का श्लोक उसी करुक्षेत्र की रणभूमि से निकलता है और भारत को विश्वगुरु बनाता है ! समय का पहिया इतिहास को दोहराने के लिए फिर से तैयार हैं !

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