Menu
blogid : 20201 postid : 816818

गरीबों का मसीहा हूँ … ये कहना काफी आसाँ है ….

poeticrebellion
poeticrebellion
  • 5 Posts
  • 1 Comment

तुम अगर साफ़गोई कि यहाँ पर बात करते हो ….

भला फिर वक़्त कि इन हरकतों से …. क्योँ ही डरते हो …


थपेड़े और भी आयेंगे …. यूँ तुम को गिराने को ….

कुल्हाड़ी और भी गहरी जड़ों को काट जाएंगी …

मगर ये सच नहीं है … तो उठो और सामने आओ …

ये आरोपों कि आंधी है … जरा लड़ के तो दिखलाओ …


गरीबों का मसीहा हूँ …. ये कहना काफी आसाँ है ….

बदलते वक़्त कि मैं ही दिशा हूँ … काफी आसाँ है …

मगर सैलाब में …. आंधी में खुद को थाम कर रखना …

अगर आता हो तुम को ये हुनर … तो ये भी बतलाओ …

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh