Menu
blogid : 315 postid : 692540

क्यों हैं इतने बेबस?

काव्य ब्लॉग मंच
काव्य ब्लॉग मंच
  • 35 Posts
  • 20 Comments

Happy-Republic-Day-2014

पास ही के एक स्कूल से

सुनाई पड़ रही थी

देशभक्ति के गीतों की

स्वर लहरियां

और गूँज रहे थे

माँ भारती की

जय – जयकार के

गगनचुम्बी नारे

बिना स्कूल बेग के

आते जाते बच्चे

अहसास करा रहे थे

गणतंत्र दिवस के

आगमन का

एक ऐसा गणतंत्र

जिसमें रह गया है

सिर्फ तंत्र

और नदारद है

आम जन

एक ऐसा जनतंत्र

जो जनता का

जनता के लिए

जनता के द्वारा शासन नहीं

बल्कि नेताओं का

नेताओं के लिए

नेताओं द्वारा शासन है

एक ऐसा लोकतंत्र

जिसमें लोगों को

याद तो किया जाता है

लेकिन बस

चुनावों के समय

एक ऐसा प्रजातंत्र

जिसमें प्रजा तरसती है

दो वक्त की रोटी के लिए

और मंत्री उड़ाते हैं मौज

पांच सितारा होटलों में

रकम जेब में मोटी लिए

सोच रही हूँ कब से

क्यों हम हो गयें है इतने विवश

जो मना रहे हैं गणतंत्र दिवस

यह तंत्र हमारा है ही नहीं

फिर हम क्यों हैं इतने बेबस ?

साभार: मोनिका जैन

Republic Day Special: मेरी पहचान मेरा इंडिया

हर ख़ुशी में कोई कमी सी है

आजादी का सबसे बड़ा महामंत्र “वंदे मातरम”

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh