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इस बात की मुझको खबर न थी कि कब नीद आयी कि मैं कब सो गया …

मेरी अभिव्यक्ति
मेरी अभिव्यक्ति
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इस बात की मुझको खबर न थी
कि कब नीद आयी कि मैं कब सो गया ||
न खबर थी उसकी न उसका कोई पता मिला
वो कब आके मेरा सिर सहला गया ||

इस बात की मुझको खबर न थी
कि कब नीद आयी कि मैं कब सो गया ||

इस बात का भी कोई गुमां न था
कि वो मुझे ख्वाबों के झूले में कब झुला गया ||
इस मशले के सुलझने की मुझको कोई खबर न थी
कब आया मेरी बाँहों में वो चुम्बन कर के निकल गया ||

इस बात की मुझको खबर न थी
कि कब नीद आयी कि मैं कब सो गया ||

उसने न छोड़े थे निशां कि मुझको कोई खबर भी हो
मैं नीद से जागा तो देखा मेरे होठ वो गुलाबी कर गया ||
मेरे पास उसकी कोई तश्वीर न थी
वो मेरी नज़रों में खुद को नजरबन्द कर चला गया ||

इस बात की मुझको खबर न थी
कि कब नीद आयी कि मैं कब सो गया ||

इस बात कि न खबर थी मुझको
कि मेरे होंठो से कब अपनी मांग वो भर गया ||
इश्क़ भी क्या चीज है इस बात की हमें खबर न थी
वो उजाड़ के मेरा घर विनय मेरे दिल में ही बस गया ||

इस बात की मुझको खबर न थी
कि कब नीद आयी कि मैं कब सो गया ||

विनय राज मिश्र ‘कविराज’

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