मेरी अभिव्यक्ति
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हाँ ध्यान रहे ..ये ध्यान रहे ..
ज्ञान पुंज को भरने वाले
स्वरी परिंदे रचने वाले
हम जैसी जड़वत चट्टानों को
आकार सुशोभित देने वाले
श्री गुरु के चरणों का प्रतिपल
ध्यान रहे ..हाँ ध्यान रहे ..
बदरंग रूप हम रखने वाले
अपनी तूलिका से हम सबमें
रंग अनूठा भरने वाले
श्री गुरु के चरणों में प्रतिपल अनुराग रहे .
हाँ ध्यान रहे ..ये ध्यान रहे ..
उठो स्वयं में खोने वालों
अंतस में अहंकार को रखने वालों
पाना चाहो यदि इच्छित वर .
तो उठो ..तो उठो ..
तो उठो साष्ठांग उन्हें प्रणाम करें .
हाँ ध्यान रहे ..ये ध्यान रहे ..
रचनाकार – विनय राज मिश्र ‘कविराज’
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