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हे गुरुदेव तुम्हे हार्दिक वंदन कोटि कोटि चरणों में वंदन …

मेरी अभिव्यक्ति
मेरी अभिव्यक्ति
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मेरी सकल कला के दाता
विद्या विनय के तुम मात्र प्रदाता .
हे गुरुदेव तुम्हे हार्दिक वंदन
कोटि कोटि चरणों में वंदन ||

मैं तो जडवत पत्थर था
मुझे इन्सान बनाने वाले .
मुझे तराशने वाले शिल्पी
कोटि कोटि चरणों में वंदन ||

मैं तो कटु विष भरा घटक था
मुझमे अमरित भरने वाले .
प्रेम सुधा बरसाने वाले .
कोटि कोटि चरणों में वंदन ||

मैं एक स्याह अँधेरा था.
मुझमे रौशनाई भरने वाले .
अखण्ड प्रदीप्ति करने वाले .
कोटि कोटि चरणों में वंदन ||

मैं तो मैला कागज था .
मुझमे सब रंग भरने वाले .
हो चित्रकार तुम बड़े निराले .
कोटि कोटि चरणों में वंदन ||

हे गुरुदेव तुम्हे हार्दिक वंदन ….
कोटि कोटि चरणों में वंदन ………….||

विनय राज मिश्र ‘कविराज’

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