Menu
blogid : 16861 postid : 661334

“चुटकी भर मांग में सिन्दूर क्या भरा , धौंस ज़माने का तुझे अधिकार मिल गया”

मेरी अभिव्यक्ति
मेरी अभिव्यक्ति
  • 71 Posts
  • 33 Comments

चुटकी भर मांग में सिन्दूर क्या भरा ,
धौंस ज़माने का तुझे अधिकार मिल गया |
गले में डाल के एक मंगलसूत्र ,
तू किसी की ज़िन्दगी का सूत्रधार बन गया |
अग्नि को साक्षी मान सात फेरे लिए ,
सात वचनों को तू भूल जाने लगा |
घर में माँ – बाप के प्यार से जो पली ,
उसकी आँखों से आंसू बहाने लगा |
तेरे नाम कि लाल चूड़ियाँ पहन ,
वो हर व्रत तेरे लिए रखने लगी |
कर दी जिसने समर्पित तुझे ज़िन्दगी ,
उसको तूने शकूं से न जीने दिया |
दर्द सारे छिपाए रही दिल में वो ,
बस तेरे लिए वो मुस्कुराने लगी |
क्या दिया तूने उसकी वफ़ा का सिला ?
हर दिन ज़ख्म का एक नया सिलसिला |
वेदना भी उसे टीसती थी यही ,
ठीक हूँ हंसके कहती रही वो यही |
अब मै कहता हूँ , हे नारी ! छोड़ दे ये भरम .
अबला नहीं आदि शक्ति है तू |
पतिव्रता रहो, सिर्फ पति के लिए ,
पुनः नवदुर्गा बनो , इन अधम भेड़ियों के लिए |
छीन लो श्वांस , चैन से मरने भी न दो ,
ताकि फिर तुम पे ऐसा न आघात हो |
ताकि फिर तुम पे ऐसा न आघात हो ||
विनय राज मिश्र ‘कविराज’

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh