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तुम्ही से इश्क़ तुम्ही से मोहब्बत तुम्ही से प्यार करता हूँ .
कभी कहीं किसी बात पर तुम्ही से तकरार करता हूँ ||
वैसे ये जमाना पड़ा है पीछे हमें रुशवा करने को .
इस पर भी मैं तुम्हे बेहिसाब प्यार करता हूँ ||
तुम्ही से इश्क़ तुम्ही से मोहब्बत तुम्ही से प्यार करता हूँ .
तेरे मेरे चर्चों की सुर्खियां हैं गली मोहल्ले में .
इस पर भी मैं तुझपे जां निसार करता हूँ ||
तेरा नाम ले के चिढ़ाती हैं तेरी सखियाँ कुछ .
मैं अपनी इस शोहरत को दोनों हाथों सलाम करता हूँ ||
तुम्ही से इश्क़ तुम्ही से मोहब्बत तुम्ही से प्यार करता हूँ .
कभी कभी तेरी जुल्फों तले शाम ढलती है .
कभी कभी तेरे दुपट्टे में दिन गुजारता हूँ ||
तुम्ही से वफ़ा तुम्ही से शिकवा गिला करता हूँ .
फिर भी दुनिया को किनारे कर के तुम्ही पे मरता हूँ ||
तुम्ही से इश्क़ तुम्ही से मोहब्बत तुम्ही से प्यार करता हूँ .
कोई दौलत शोहरत से वास्ता नहीं मेरा .
बस तेरे ख्वाबों की राह तकता हूँ ||
तेरी हर गलती को अपनी खूबी में शुमार करता हूँ .
विनय समंदर हूँ , हर खामी-खूबी जहाँ की रखता हूँ ||
तुम्ही से इश्क़ तुम्ही से मोहब्बत तुम्ही से प्यार करता हूँ …
विनय राज मिश्र ‘कविराज’
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