देश की संसद पर हुए आतंकी हमले को आज 16 साल हो गए। 13 दिसंबर 2001 को पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने संसद पर हमला किया, जिसने देश को हिलाकर रख दिया था। यह हमला कारगिल में हुई जंग के बाद हुआ था। कारगिल युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच तनाव था। हमले के बाद यह तनाव चरम पर पहुंच गया। यह एक ऐसा हमला बना, जिसकी वजह से भारत-पाकिस्तान के बीच बॉर्डर पर करीब आठ महीने तक जंग के हालात बने रहे। संसद पर हुए हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम लॉन्च हुआ और दोनों देश कारगिल की जंग के ढाई साल बाद एक बार फिर से आमने-सामने थे।
ऑपरेशन पराक्रम
13 दिसंबर को संसद पर आतंकी हमले के बाद 15 दिसंबर को ऑपरेशन पराक्रम लॉन्च किया गया। यह ऑपरेशन सुरक्षा को लेकर बनाई गई कैबिनेट कमेटी के फैसले के बाद लॉन्च किया गया था। सन् 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद यह पहला मौका था, जब सेना को पूरी तरह एक जगह से दूसरी जगह लामबंद किया गया था। 3 जनवरी 2002 को मिलिट्री मोबेलाइजेशन पूरा हुआ और 16 अक्टूबर 2002 को यह ऑपरेशन खत्म हुआ।
दो बार बने युद्ध के हालात
10 महीने तक भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर तैनात रही। इस बीच दो बार ऐसा हुआ, जब दोनों देशों के बीच जंग के हालात बने। पहली बार तब, जब अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश भी इस मामले में दखल देने लगे। माहौल भारत के पक्ष में था, इसलिए विशेषज्ञ मानते हैं कि सेना उस समय एलओसी पार कर सकती थी। 12 जनवरी 2002 को पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने बयान दिया कि पाकिस्तान अपनी जमीन से किसी भी आतंकी गतिविधि की मंजूरी नहीं देगा। इस वजह से भारत ने अपने कदम पीछे कर लिए, लेकिन सेना बॉर्डर पर तैनात रही। दूसरी बार युद्ध के हालात तब बने, जब 14 मई 2002 को जम्मू-कश्मीर के कालूचक में सैनिकों के लिए बने फैमिली क्वार्टर पर आतंकी हमला हुआ। 10 माह तक सभी ऑफिसर्स और जवानों की छुट्टियां कैंसिल कर दी गई थीं।
दोनों देशों ने तैनात की मिसाइलें
दिसंबर 2001 के अंत में दोनों देशों की ओर से बॉर्डर के एकदम करीब बैलिस्टिक मिसाइलें, मोर्टार और भारी मात्रा में आर्टिलरी तैनात कर दी गई थी। जनवरी 2002 में भारत की ओर से 5,00,000 सैनिक और तीन आर्म्ड डिविजन को एलओसी पर तैनात किया गया। पाकिस्तान ने भी कश्मीर से सटे अपने इलाकों में 3,00,000 सैनिक तैनात कर दिए। बताया जाता है कि मुशर्रफ की ओर से दिया गया बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दिखाने की कोशिश करना था कि पाकिस्तान भारत के साथ तनाव को कम करना चाहता है। इस वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सेना के टॉप जनरलों से कहना पड़ा कि फिलहाल कोई भी हमला भारत की तरफ से नहीं होगा…Next
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