मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस ने पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी। एमपी के छिंदवाड़ा से सांसद कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि पार्टी के इस निर्णय से सिंधिया कैंप को एक झटका भी मिला है। कमलनाथ को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे खास रणनीति मानी जा रही है। सूबे में कुछ ऐसे समीकरण हैं, जिनमें कमलनाथ पार्टी को फिट बैठते नजर आए और यही वजह रही कि दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य की जगह वरिष्ठ नेता कमलनाथ को तरजीह दी गई। आइये आपको उन पांच बड़ी वजहों के बारे में बताते हैं, जिस वजह से कांग्रेस आलाकमान की पसंद कमलनाथ बने।
इन 5 वजहों ने पहुंचाया फायदा
सियासत के जानकारों की मानें, तो कमलनाथ को कांग्रेस में गुटबाजी से परे का नेता माना जाता है। वे गुटों में बंटे हुए प्रदेश संगठन को एक साथ लाकर मिशन को आगे बढ़ा सकते हैं। इसे पहली वजह माना जा रहा है, जिसने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद पर पहुंचाया। दूसरा, चुनावों में प्रदेश कांग्रेस के लिए संसाधन जुटाने की क्षमता। तीसरा, सत्ता के गलियारों का अनुभव। चौथा, जाति के तौर पर न्यूट्रल फेस। उनके पक्ष में पांचवां और सबसे अहम बिंदु यह है कि उन्हें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का भी रणनीतिक तौर पर समर्थन हासिल है। यह समीकरण इसलिए बेहद अहम है कि दिग्विजय सिंह को साधने से पार्टी में गुटबाजी कम होगी।
ये चुनौतियां भी होंगी सामने
मध्य प्रदेश में पहली बार प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी संभालने वाले कमलनाथ के सामने पार्टी के सभी गुटों को साथ लाने की भी चुनौती होगी। खासतौर पर कांग्रेस के खोए हुए सामाजिक आधार को वापस दिलाना बड़ा टास्क होगा। मुख्य तौर पर सवर्ण जातियां कांग्रेस की बजाय भाजपा पर अधिक भरोसा दिखाती आई हैं। इस चुनाव में कमलनाथ के सामने मोदी-शिवराज और शाह की मजबूत तिकड़ी से निपटने की चुनौती होगी।
सिंधिया की ओर से नहीं आई टिप्पणी
अब तक हरियाणा के प्रभारी महासचिव रहे कमलनाथ अब मध्य प्रदेश के कांग्रेस चीफ हैं, जबकि इस पद के लिए रेस में बताए जा रहे सिंधिया को कैंपेन कमिटी का चेयरमैन बनाया गया है। भले ही कांग्रेस ने अभी मध्य प्रदेश के लिए अपने सीएम कैंडिडेट का एलान नहीं किया है, लेकिन कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से साफ है कि वे ही चुनावी समर में कांग्रेस का सबसे अहम चेहरा होंगे। अब तक इस मसले पर सिंधिया की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन कमलनाथ को कमान सौंपे जाने को सिंधिया कैंप के लिए झटका माना जा रहा है…Next
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